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डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने दुष्कर्मियों के लिए मौत की सजा की मांग की

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में आठ वर्ष की एक बच्ची से दुष्कर्म की निंदा करते हुए बुधवार को सत्याग्रह की घोषणा की

डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने दुष्कर्मियों के लिए मौत की सजा की मांग की
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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में आठ वर्ष की एक बच्ची से दुष्कर्म की निंदा करते हुए बुधवार को सत्याग्रह की घोषणा की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने और हालात में बदलाव के लिए व्यवस्था में बदलाव की मांग की। स्वाती ने कहा कि वे विरोध प्रदर्शन के तौर पर अगले 30 दिनों तक घर नहीं जाएंगी और महिला आयोग की सदस्यों के साथ दिन-रात काम करेंगी।

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अगर व्यवस्था में बदलाव नहीं होता तो महिला आयोग राजधानी में बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू करेगा।

उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) से इन मासूम बच्चियों की स्थिति पर ध्यान देने का आग्रह करती हूं। दिल्ली को विशेष दर्जा मिलने और प्रशासन की आंख के नीचे होने के बाबजूद परिणाम शून्य है। कुछ नहीं होगा अगर प्रधानमंत्री खुद इसमें दखल नहीं देंगे। जिस आठ माह की बच्ची से दुष्कर्म हुआ है वह देश की बच्ची है।"

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "हम केंद्र और राज्य सरकारों को राजधानी में महिला सुरक्षा पर कार्रवाई करने के लिए 30 दिन का समय देते हैं। सोई हुई व्यवस्था को जगाने के लिए हम 30 दिन तक 24 घंटे काम करके सत्याग्रह करेंगे।"

महिला आयोग ने अपनी मांगों की सूची दी है। इनमें बच्चों से दुष्कर्म के दोषियों को छह महीने के अंदर रोजाना सुनवाई कर मृत्यु दंड का कठोर कानून बनाने, अतिरिक्त फास्ट ट्रैक अदालतों को स्थापित करने, गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृत दिल्ली पुलिस में 66,000 अतिरिक्त कर्मियों की नियुक्तियां करने और 14,000 अतिरिक्त नियुक्तियों पर ठोस निर्णय लेने, पुलिस का उत्तरदायित्व बढ़ाने के लिए उचित सॉफ्टवेयर बनाने, फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में लंबित नमूनों का विश्लेषण तुरंत करने और अभियोजन विभाग में सुधार करना शामिल हैं।

उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म की शिकार बच्ची की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए बच्ची को जरूरत पड़ने पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराने का आदेश दिया है।

न्यायालय ने साथ ही पीड़िता के परिवार को मुआवजे के तौर पर दस लाख रुपये देने और पीड़िता के बेहतर इलाज की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई करने को मंजूरी दी है।


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