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बड़े नक्सलियों को घेरने व्यापक ऑपरेशन की तैयारी

दंतेवाड़ा ! दक्षिण बस्तर के सुकमा में 25 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद दिल्ली से लेकर दंतेवाड़ा तक हलचल है।

बड़े नक्सलियों को घेरने व्यापक ऑपरेशन की तैयारी
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केन्द्र को चुनौती देने केन्द्रीय बल को निशाना बना रहे नक्सली
डीजी नक्सल आपरेशन दक्षिण बस्तर में बना रहे रणनीति
सुकमा हमले के बाद दिल्ली से लेकर दक्षिण बस्तर तक हलचल

दंतेवाड़ा ! दक्षिण बस्तर के सुकमा में 25 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद दिल्ली से लेकर दंतेवाड़ा तक हलचल है। पिछले तीन दिनों से डीजी नक्सल आपरेशन डीएम अवस्थी लगातार बैठकों के जरिये नये आपरेशन की तैयारी में है। सुकमा के बाद दंतेवाड़ा और आज बीजापुर में भी उन्होंने जिला पुलिस और सीआरपीएफ अफसरों की बैठक ली तथा व्यापक आपरेशन का खाका तैयार किया।
दंतेवाड़ा की बैठक में आपरेशन की रणनीति बनायी गई, जिसका सार्वजनिक तौर पर खुलासा नहीं हुआ, लेकिन माना जा रहा है कि नक्सलियों को उनके ही मांद में घेर कर मारा जाएगा। अभी सडक़ सुरक्षा में लगी सीआरपीएफ अब पूरी तरह आपरेशन में ध्यान देगी। जिला पुलिस और सीआरपीएफ का संयुक्त आपरेशन लांच होगा। सडक़ सुरक्षा से सीआरपीएफ को फिलहाल कुछ समय के लिए हटाया जा रहा है ताकि ध्यान आपरेशन पर केन्द्रित हों। हालांकि जिला पुलिस पहले ही नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन चलाती रही है। डीआरजी के जवान मुठभेड़ों में नक्सलियों को मार गिराने में सफल भी हुए हैं। छोटे-छोटे टूकड़ों में यह आपरेशन चलता रहा है, लेकिन अब बड़े नक्सल नेताओं को टारगेट कर आपरेशन चलाया जाएगा। दक्षिण बस्तर के तीनों जिलों को आपस में को-आर्डिनेट कर यह आपरेशन चलेगा। डीजी नक्सल आपरेशन की ओर से ताबड़तोड़ बैठकों का मतलब यही निकाला जा रहा है।
सीआरपीएफ नक्सल मोर्चो पर कामयाबी नहीं पा रही है, इसकी चिंता राज्य से लेकर केन्द्र तक हुई। सीआरपीएफ के डीजी से लेकर आईजी स्तर तक मंथन इस बात पर हुआ कि चूक कहां पर हो रही है। जिला पुलिस और सीआरपीएफ में समन्वय की कमी का मुद्दा हर हमले के बाद उठा। इस बार भी सवाल उठे, लेकिन दंतेवाड़ा पहुंचे सीआरपीएफ आईजी डीएस चौहान ने डीजी नक्सल आपरेशन श्री अवस्थी की मौजूदगी में समन्वय की कमी से इंकार किया और कहा कि सीआरपीएफ का सभी के साथ बेहतर तालमेल है।
इधर सुकमा हमले के बाद पहली बार बड़े नक्सल लीडरों की तस्वीरे सोशल मीडिया में जारी की गई हैं। उन पर रखे गए ईनाम का जिक्र भी है। इसमें रमन्ना से लेकर दूसरे बड़े नक्सल नेता शामिल हैं। अक्सर पुलिस अथवा दूसरी फोर्स पर यह आरोप लगते रहे हैं कि नक्सलियो के बारे में सही जानकारी भी पुलिस के पास नहीं है और आपरेशन चलाया जा रहा है। इसके जवाब में नक्सल नेताओं की तस्वीरे सार्वजनिक की गई हैं। कुल मिलाकर नक्सल मोर्चे पर बुरकापाल हमले के बाद काफी कुछ नये अंदाज में रणनीति बनायी जा रही है और इसके परिणाम आने वाले समय में सबके सामने होंगे। केन्द्रीय बल पर जब हमला होता है या नुकसान होता है तो पूरे देश में चिंता होने लगती है। वहीं जिले की पुलिस की शहादत पर न तो यथोचित सम्मान मिलता है और न ही चिंता दिखती है। केन्द्रीय बल को नक्सलियों द्वारा इसलिए भी निशाना बनाया जाता है, क्योंकि इससे नक्सलियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहने का मौका मिलता है। केन्द्रीय बल और स्थानीय बल में सरकारी स्तर पर फर्क करने की वजह से भी नक्सलियों को बढऩे का मौका मिला है। बहरहाल सभी कमियों को दूर कर व्यापक अभियान की शुरूआत हो रही है। शांति बहाली के लिए आतुर दक्षिण बस्तर परिणाम की बेसब्री से प्रतीक्षा में है।


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