शव कांवड़ से लाने का मामला प्रशासन ने परिजनों को ही दोषी ठहराया
दंतेवाड़ा ! जिले के मटेनार रहवासी बुधराम के शव को कांवड़ से पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाये जाने का मामला उजागर होते ही प्रशासन ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी और अपने आप को क्लिन चिट भी दे दी।

जंगली सूअर के हमले से हुई थी मटेनार के बुधराम की मौत
वाहन के अभाव में कांवड़ से लाया पीएम के लिए शव
मामला उजागर होते ही प्रशासन ने जांचकर रिपोर्ट भी सौंप दी
दंतेवाड़ा ! जिले के मटेनार रहवासी बुधराम के शव को कांवड़ से पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाये जाने का मामला उजागर होते ही प्रशासन ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी और अपने आप को क्लिन चिट भी दे दी।
आदिवासी बहुल इस इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं पर बड़े पैमाने पर राशि खर्च होती है। जीवित रहते आदिवासियों को लाभ नहीं मिल पाता तो मौत के बाद भी लाभान्वित करने में प्रशासन कोताही बरतता है। कांवड़ से घायलों को लाने का मामला कई बार उजागर हुआ, लेकिन यह पहला मौका था जब शव को पोस्टमार्टम के लिए कांवड़ से जिला अस्पताल लाया गया। प्रशासन ने अपने स्तर पर जांच करने के बाद खुद को पाक साफ बताया। जाहिर है जब अपनी गलती की जांच प्रशासन ने खुद कर ली तो दोषी कोई नहीं होगा, और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई होगी। प्रशासन ने ऐसी जांच रिपोर्ट बनायी कि मृतक के परिजनों को ही दोषी ठहरा दिया कि उन्होंने मौत के बाद प्रशासन को खबर नहीं दी तो शव वाहन कैसे भेजा जाता। कुल मिलाकर प्रशासन की संवेदना केवल इसी स्तर की रह गयी है कि उसे सब कुछ समय रहते बताया जाए तब आदिवासियों के लिए सुविधाएं मुहैया होंगी, बाकि सरकार की योजनाएं दंतेवाड़ा में केवल फ्लेक्स और होर्डिंग्स में चल रही है। जमीनी स्तर पर योजनाओं की हकीकत मटेनार की ताजा प्रकरण से समझी जा सकती है। बहरहाल पूरे मामले में गलती मटेनार के बुधराम की थी, जो अकाल, काल के गाल में समा गया।
मटेनार निवासी बुधराम के शव को कांवड़ से जिला अस्पताल लाए जाने के मामले में कलेक्टर सौरभ कुमार ने जाँच के निर्देश दिए थे। इसके प्रतिपालन में एसडीएम डॉ. सुभाष राज ने मामले के विभिन्न पक्षों की जाँच की एवं संबंधित पक्षों से की गई कार्रवाई की जानकारी ली। एसडीएम ने इस संबंध में थाना प्रभारी दंतेवाड़ा तथा मुख्य चिकित्सा एवं सहायता अधिकारी की रिपोर्ट ली एवं ग्रामीणों का पंचनामा भी लिया। एसडीएम ने कलेक्टर को सौंपे अपने जाँच प्रतिवेदन में जानकारी दी है कि बुधराम 17 अप्रैल को शाम पाँच बजे जंगली सूअर के हमले के शिकार हुए और इससे उनकी मृत्यु हो गई। घटना की जानकारी परिजनों ने पुलिस, प्रशासन एवं अस्पताल को नहीं दी। शव को ले जाने हेतु अस्पताल अथवा पुलिस को सूचना नहीं दी गई। पोस्टमार्टम लगभग डेढ़ बजे पूर्ण हुआ। इसके बाद दोपहर दो बजे शव वाहन से शव भेजा गया। गाँव में अंतिम संस्कार हुआ। श्रद्धांजलि योजना के अंतर्गत 2 हजार रुपए की सहायता राशि परिजनों को प्रदान की गई। मामले में राष्ट्रीय परिवार सहायता का प्रकरण तैयार कर लिया गया है। वन विभाग में भी प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।


