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खतरों को अवसरों में बदला जा सकता है : सेना के पूर्व अधिकारी

सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सियाचीन और उसके आसपास के इलाके में उचित भोजन के बिना भी देश के तीन लाख लोग देश की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं

खतरों को अवसरों में बदला जा सकता है : सेना के पूर्व अधिकारी
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नई दिल्ली। सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सियाचीन और उसके आसपास के इलाके में उचित भोजन के बिना भी देश के तीन लाख लोग देश की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि अपने लोगों के खतरों को अवसरों में बदला जा सकता है। लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा शनिवार को लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के 24 वें स्थापना दिवस के मौके पर 'सिक्योर इंडिया : चैलेंजेज फॉर फ्यूचर लीडर्स' पर विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा, "भारत एक ऐसा देश है, जहां दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से अपने लोगों के खतरों को अवसरों में बदला जा सकता है। इस देश के नागरिकों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है क्योंकि हमारे पास सियाचिन में और उसके आसपास 300,000 से अधिक लोग हैं जो उचित भोजन के बिना इस देश का नाम रोशन कर रहे हैं।"

लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडिंग-इन-चीफ हैं। उन्होंने कहा कि आज की युवापीढ़ी दुनिया में बदलाव ला सकती है।

कार्यक्रम का आयोजन लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (एलबीएसआईएम) के दिल्ली के द्वारका स्थित परिसर में किया गया था।

इस कार्यक्रम की शुरुआत शास्त्रीजी की एक स्क्रीनिंग से हुई, जिसने राष्ट्र के लिए उनके प्रशंसनीय कार्यों की सराहना की गई।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और एलबीएएसआईएम के चेयरमैन अनिल शास्त्री ने छात्रों के नैतिक मूल्यों पर प्रकाश डाला और कहा, "हमारा मानना है कि सफलता के लिए नैतिक मूल्य जरूरी है। इस संस्थान की नींव पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण के लिए डाली गई है क्योंकि शिक्षा सफलता की एक महत्वपूर्ण कुंजी है।"

कार्यक्रम में संस्थान के पांच अतिविशिष्ट मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया।


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