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दलित के नाम पर फर्जीवाड़े से दलित समाज ने सर्वोच्च न्यायालय का खटखटाएगा दरवाजा

फरीदाबाद ! प्याली चौक के समीप सारन गांव स्थित रवीदास मंदिर के प्रांगण में एक विशाल दलित महापंचायत का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने आरोप लगाया कि आरक्षित वार्ड 12 से जिताई

दलित के नाम पर फर्जीवाड़े से दलित समाज ने सर्वोच्च न्यायालय का खटखटाएगा दरवाजा
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फरीदाबाद ! प्याली चौक के समीप सारन गांव स्थित रवीदास मंदिर के प्रांगण में एक विशाल दलित महापंचायत का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने आरोप लगाया कि आरक्षित वार्ड 12 से जिताई गई पार्षद सुमन बाला अरोड़ा खेड़ा दलित नहीं बल्कि जनरल कॉस्ट पंजाबी बिरादरी की महिला है। जबकि इस बार मेयर पद के लिए ड्रा में किसी दलित का मेयर बनना तय हुआ है। वक्ताओं ने कहा कि पंजाबी अरोड़ा बिरादरी में कोई जुलाहा दलित कॉस्ट होती ही नहीं बल्कि अरोड़ा जाति का सरनेम जुलाया होता है इसी जुलाया शब्द को सुमन बाला अरोड़ा खेड़ा परिवार ने दुरूउपयोग करके जुलाहा कर दिया और दलित बन बैठे। सुमन बाला के पिता लोकनाथ अरोड़ा दादा सोमनाथ अरोड़ा थे। उन्होंने 1976 में एससी होने का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाया था, उन्होंने कहा कि इसको गूगल पर सर्च करके देखा जा सकता है कि अरोड़ा बिरादरी में जुलाहा नहीं होते बल्कि जुलाया सरनेम होता है। वक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पूरा फरीदाबाद और वार्ड 12 में हजारों पंजाबी अरोड़ा बिरादरी के परिवार रहते हैं जिनमें से केवल सुमन बाला का परिवार ही अपने आप को दलित बताता है जबकि उनके अन्य रिश्तेदार चाचा, मामा, ताऊ, बुआ यह कतई स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कि वो दलित हैं। इसलिए इस परिवार का दलित होना संदिग्ध है और दलित समाज इस बात को लेकर अदालती लड़ाई लडऩे जा रहा है जिसमें सुमन बाला के दलित जाति का पर्दाफाश होना तय है। दलित समाज ने शासन प्रशासन और भाजपा नेताओं से महापंचायत में मांग की कि आरक्षित सीट से जो अन्य दलित पार्षद जीतें है उन्हीं में से किसी को फरीदाबाद का मेयर बनाया जाए वर्ना दलित समाज इस मुद्दे पर आर पार की लड़ाई लड़ेगा और यदि भाजपा नेता फिर भी नहीं माने तो इस लड़ाई को पूरे हरियाणा राज्य और राष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाएगा।


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