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कोरोना वायरस: नए डेल्टाक्रॉन वेरिएंट के बारे में अब तक क्या-क्या पता है?

साइप्रस के एक प्रोफेसर का दावा है कि उन्होंने एक नया कोरोना वेरिएंट खोजा है, जो डेल्टा और ओमिक्रॉन से मिलकर बना है.

कोरोना वायरस: नए डेल्टाक्रॉन वेरिएंट के बारे में अब तक क्या-क्या पता है?
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साइप्रस यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के प्रोफेसर लियनडियोस कॉसट्राइकस ने दावा किया है कि साइप्रस में कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट को जोड़ने वाला एक नया वेरिएंट पाया गया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक टीवी चैनल से बातचीत में प्रोफेसर कॉसट्राइकस ने कहा, "हमने पाया है कि यह स्ट्रेन ओमिक्रॉन और डेल्टा के मिलने की वजह से बना है. डेल्टा जीनोम में ओमिक्रॉन जैसे जेनेटिक सिग्नेचर मिलने की वजह से हमने इसे डेल्टाक्रॉन नाम दिया है."

7 जनवरी को डेल्टाक्रॉन के 25 मामलों के सीक्वेंस, वायरस में बदलावों का हिसाब रखनेवाले अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस GISAID भेजे गए थे. प्रोफेसर कॉसट्राइकल कहते हैं कि यह अधिक संक्रामक है या नहीं, यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन निजी तौर पर उनका मानना है कि अधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट इसकी जगह ले लेगा. डेल्टाक्रॉन के अब तक 25 मरीज मिलने की बात कही जा रही है.

साइप्रस में इस वेरिएंट के जो केस मिले, उनमें से 11 लोग अस्पताल में भर्ती थे, जबकि बाकी 14 आम जनता के बीच से मिले हैं. इस वेरिएंट को डेल्टाक्रॉन नाम प्रोफेसर कॉसट्राइकस ने दिया है. वैज्ञानिकों ने अभी तक इसे आधिकारिक रूप से कोई नाम नहीं दिया है.

दावे को खारिज कर रहे विशेषज्ञ

वहीं कुछ अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि यह कोई नया वेरिएंट नहीं है, बल्कि लैब में दोनों वायरस के संपर्क में आने का नतीजा है. इसके जवाब में प्रोफेसर कॉसट्राइकस का कहना है कि उन्हें डेल्टाक्रॉन संक्रमण के जो मामले मिले हैं, उनसे पता चलता है कि यह 'सिंगल रीकॉम्बिनेशन' यानी किसी एक का पुनर्संयोजन नहीं, बल्कि पिछले स्ट्रेन में हुए विकास का नतीजा है.

प्रोफेसर कॉसट्राइकस का कहना है कि कोरोना संक्रमण के अस्पताल में भर्ती मरीजों में डेल्टाक्रॉन संक्रमण के मामले ज्यादा हैं, जबकि अस्पताल में भर्ती न होने, लेकिन संक्रमित लोगों के साथ ऐसा नहीं है. इससे लैब वाला अनुमान गलत साबित होता है. अपनी बात के पक्ष में वह यह भी बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय डाटाबेस में इस्राएल ने भी एक सीक्वेंस जमा कराया है, जो डेल्टाक्रॉन जैसा है.

कोरोना वायरस पर अध्य्यन करनेवाले बर्मिंगम यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायल जीनॉमिक्स के प्रोफेसर निक लोमन कहते हैं कि जब किसी एक रोगाणु के कई वेरिएंट्स फैल रहे हों, तो उन वेरिएंट्स के मिलने से एक नया वायरस बनना संभव होता है. लोमन मानते हैं कि डेल्टा और ओमिक्रॉन के मिलने से नया वायरस बनना आश्चर्यजनक नहीं होगा, लेकिन इस मामले में यह लैब की गतिविधियों का नतीजा लग रहा है.

इस पूरे मामले पर साइप्रस के स्वास्थ्य मंत्री माइकल हाजिपैंटला ने रविवार को कहा कि यह नया वेरिएंट चिंता का विषय नहीं है. उन्होंने इस सप्ताह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस सिलसिले में और जानकारी देने की बात कही है.


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