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मणिपुर के तीन जिलों में कर्फ्यू, इंफाल में एकजुट हुए प्रदर्शनकारी छात्र

हिंसा की आशंका के चलते मणिपुर के तीन जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू लगा दिया गया। अधिकारियों ने इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और थौबल में फिर से कर्फ्यू लगाया है

मणिपुर के तीन जिलों में कर्फ्यू, इंफाल में एकजुट हुए प्रदर्शनकारी छात्र
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इंफाल। हिंसा की आशंका के चलते मणिपुर के तीन जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू लगा दिया गया। अधिकारियों ने इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और थौबल में फिर से कर्फ्यू लगाया है।

राज्य में बढ़ती हिंसा के खिलाफ मणिपुर के मुख्यमंत्री सचिवालय और इंफाल में राजभवन के सामने प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों छात्र फिर से इमा मार्केट (नुपी कीथेल) में जमा हो गए हैं। पुलिस उनसे प्रदर्शन खत्म करने के लिए कह रही है। वह दोबारा अपनी मांगों को लेकर एक जगह पर एकत्रित हुए हैं।

गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बिगड़ती कानून व्यवस्था के कारण इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और थौबल जिलों में सुबह 11 बजे से कर्फ्यू फिर से लगा दिया गया। सुरक्षा बल कड़ी निगरानी कर रहे हैं और तलाशी अभियान चला रहे हैं। किसी भी तरह की हिंसक वस्तु या किसी उपद्रवी का पता लगाने के लिए जगह-जगह तलाशी अभियान जारी है।

अधिकारी ने मीडिया से कहा, "हम सभी संबंधित लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की परेशानी या कानून-व्यवस्था के उल्लंघन से बचने का आग्रह करते हैं। हमने पहले ही लोगों से कहा है कि किसी भी बेबुनियाद सोशल मीडिया पोस्ट, फोटो और वीडियो पर ध्यान ना दें। कानून का उल्लंघन करने वालों और सद्भाव बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के हजारों छात्रों ने सोमवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री सचिवालय और राजभवन के सामने बढ़ती हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा और उग्रवादी संगठनों से निपटने के लिए एकीकृत कमान राज्य सरकार को सौंपने की मांग की।

स्कूल और कॉलेज की ड्रेस पहने छात्र 'मणिपुर अमर रहे', 'सभी अक्षम विधायक इस्तीफा दें' और 'राज्य सरकार को एकीकृत कमान का प्रभार दो' जैसे नारे लगाते सुने गए। उन्होंने राज्य की स्थिति से निपटने में अक्षमता के लिए प्रशासन और विभिन्न प्राधिकारियों के प्रति भी गुस्सा व्यक्त किया।

छात्र नेताओं ने सोमवार को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से भी अलग से मुलाकात की और उनसे शांति एवं सामान्य स्थिति तत्काल बहाल करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।

छात्रों ने जारी जातीय हिंसा को नियंत्रित करने के लिए तैनात अतिरिक्त केंद्रीय बलों को वापस बुलाने की भी मांग की। उन्होंने कहा, "डेढ़ साल से अधिक समय से संघर्ष जारी रहने के बावजूद वे शांति बहाल करने में विफल रहे हैं।"

उनका गुस्सा केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर था। उन्होंने राज्य के जातीय संकट को हल करने में विफल रहने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।

इसी बीच, मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए मणिपुर सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य भर के सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों को मंगलवार तक बंद कर दिया।

एक सितंबर से राज्य में हिंसा बढ़ गई है, जिसमें कई जिलों में संदिग्ध आतंकवादियों और सशस्त्र कार्यकर्ताओं द्वारा दो महिलाओं, बुजुर्गों और एक सेवानिवृत्त सैन्य जवान सहित कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए।

असम राइफल्स, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और मणिपुर पुलिस कमांडो सहित संयुक्त सुरक्षा बलों ने भी उग्रवादियों को पकड़ने और हथियार एवं गोला-बारूद बरामद करने के लिए राज्य में अभियान तेज कर दिए हैं।


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