विदेशी प्रतिनिधि मण्डल के स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम
गलगोटिया विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जर्मनी की वूर्जबर्ग विश्वविद्यालय के 30 छात्र एवं शिक्षकों के एक समूह ने भाग लिया।
ग्रेटर नोएडा। गलगोटिया विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जर्मनी की वूर्जबर्ग विश्वविद्यालय के 30 छात्र एवं शिक्षकों के एक समूह ने भाग लिया। कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बिजनेस के द्वारा आयोजित किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य एक दूसरे देशों की शिक्षा प्रणाली उसके तोर तरीकों एवं संस्कृति से अवगत कराना था।
बिजनेस स्कूल के डॉ. अनीमेश ने भारतीय शिक्षा के मूल सिद्धांतों से अवगत कराते हुए कहा कि भारत सबसे पहले वैदिक शिक्षा के रूप में विकसित हुआ। क्योंकि यह पूरी तराह से वेदों पर आधारित था। भारत में चार वेद और अन्य उपनिषद ही प्रचलित थे।
मौखिक होने के कारण इन्हीं पर जोर दिया जाता था। क्योंकि उस समय पढ़ने लिखने की वस्तुएं बहुत महंगी थी। भारतीय वैदिक शिक्षा में चरित्र निर्माण आध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों व्यक्तित्व निर्माण व मूल्यों पर अधिक बल दिया जाता था।
प्राचीन काल से ही गुरूकुल स्थापित थे जिनमें छात्रों द्वारा 25 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए शिक्षा ग्रहण की जाती थी। गुरूकुलों में शिक्षा का एक आधार था जिसके द्वारा ब्राह्मणों को धर्म और शास्त्र, क्षत्रिय को युद्ध, एवं वैश्यों को वाणिज्य व खातों की शिक्षा दी जाती थी।


