सीआरपीएफ का देश की आंतरिक सुरक्षा में अतुलनीय योगदान:नायडू
उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा में केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल (सीआरपीएफ) का अतुलनीय योगदान रहा है

गुरुग्राम। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा में केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल (सीआरपीएफ) का अतुलनीय योगदान रहा है।
नायडू कादरपुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) अकादमी में सीधे नियुक्त राजपत्रित अधिकारियों के 50वें बैच का दीक्षांत परेड समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में आज 48 प्रशिक्षु अधिकारियों को सेवा एवं निष्ठा भाव से काम करने की शपथ दिलाई गई जिसमें चार महिला अधिकारी भी शामिल थी।नायडू ने पासिंग आउट परेड में भाग ले रही टुकडिय़ों का निरीक्षण किया और भव्य परेड की सलामी ली।
नायडू ने कहा कि साईबर तकनीक ने देशों की सीमाओं को लांघ दिया है लेकिन इससे सुरक्षा के मामले में चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के अधिकारियों व जवानों को इन चुनौतियों को भी अवसर में तबदील करना है। उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा में उत्तर पूर्व के अलगाववाद से लेकर पंजाब के उग्रवाद को समाप्त करने में सीआरपीएफ का अतुलनीय योगदान रहा है और बल को अपनी वीरता की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश की एकता और अखण्डता को बरकरार रखना है।
उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तिथि है क्योंकि आज ही के दिन सन् 1971 में पाकिस्तानी सेनाओं ने भारतीय सेना के समक्ष आत्म समर्पण किया था। नायडू ने पासिंग आउट परेड में भाग ले रहे ट्रेनी अधिकारियों से कहा कि आप भी आज ही के दिन राष्ट्र निष्ठा और कर्तव्य निष्ठा की उसी गौरवशाली परंपरा में सम्मिलित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ की युवा पीढी व भावी नायकों को तैयार करने में सीआरपीएफ अकादमी की वे सराहना करते हैं। नायडू ने कहा कि सीआरपीएफ का आदर्श वाक्य सेवा और निष्ठा न सिर्फ आपकी वर्दी पर अंकित होगा बल्कि आपकी अंत: चेतना पर भी अंकित रहेगा।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और वहां पर आम नागरिकों व युवाओं के साथ शांति और सौहार्द स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने 13 दिसंबर 2001 को हुए संसद हमले में सीआरपीएफ के जवानों की वीरता का भी उल्लेख किया।
नायडू ने कहा कि देश में ही नहीं सीआरपीएफ ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के अंतर्गत दूसरे देशों जैसे कोसावों तथा लाईबेरिया में भी शांति व्यवस्था कायम करने में सहयोग दिया, जिसमें महिला बटालियन को भी शामिल किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग अलगाववादियों के लिए भी मानव अधिकारों की बात करते हैं जबकि मानव अधिकार केवल मनुष्यों के लिए होते हैं,ना कि ऐसे संगठनों के लिए जो मानवता के खिलाफ काम करें। मानवता और संविधान की खिलाफत स्वीकार्य नहीं है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उपराष्ट्रपति से पहले पहुंचकर परेड की टुकड़ियों की सलामी ली। खट्टर ने दीक्षांत परेड समारोह में सीआरपीएफ की गतिविधियों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।


