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आतंकवादियों पर कहर बन टूटते थे सीआरपीएफ जवान रामवकील

आतंकवादियों के साथ कई मुठभेड़ों में अहम योगदान देने वाले सीआरपीएफ के जवान रामवकील की किस्मत ने गुरूवार को साथ नहीं दिया और वह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमले में शहीद हो गये

आतंकवादियों पर कहर बन टूटते थे सीआरपीएफ जवान रामवकील
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इटावा। आतंकवादियों के साथ कई मुठभेड़ों में अहम योगदान देने वाले केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान रामवकील की किस्मत ने गुरूवार को साथ नहीं दिया और वह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमले में शहीद हो गये।

सीआरपीएफ के शहीद हेड कान्स्टेबल रामवकील के भाई आदेश चंद्र ने कहा “ मेरा भाई बहुत बहादुर था। वह जब भी छुट्टी पर आता तो बताता था कि उसके बंकर पर आंतकियों ने हमला किया तो उसने कई आंतकियो को मौत के घाट उतार दिया लेकिन अबकी बार दुर्भाग्य है कि उसकी किस्मत दगा दे गयी और वह कायराना हमले में दुनिया मे विदा ले गया। ”

रामवकील माथुर के शहीद होने की खबर पहुंचते ही पूरा जिला गम में डूब गया। मूलरूप से मैनपुरी के रहने वाले रामवकील के परिजन गमगीन माहौल मे शुक्रवार सुबह मैनपुरी के लिए रवाना हो गये है।

इटावा के अशोक नगर इलाके में अपने मायके में रह रहीं गीता और उसके तीन बेटे है जिसमें बड़े बेटे राहुल की उम्र 12 वर्ष है जो केंद्रीय विद्यालय में कक्षा अाठ का छात्र है। उससे दो साल छोटा साहुल कक्षा 7 में पढ़ता है। दोनों अपने पापा को याद करते हुए नाना नानी की गोद से हटने का नाम नहीं ले रहे है वहीं सबसे छोटा बेटा अंश भी अपनी माँ की गोद मे रोते हुए जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर हुआ क्या घर मे चीख पुकार क्यों मची है।

चार साल का अंश को नहीं पता कि उसके पापा अब कभी घर वापिस नहीं आएंगे, वही गीता रोते हुए बता रही है कि पिछले रविवार को उनके पति यह कहकर घर से गये थे कि अगले महीने घर वापिस आ कर मकान बनवाएंगे ।

मैनपुरी ज़िले के दन्नाहार थाने के विनायपुरा गॉव के रहने वाले रामवकील 2001 में सिपाही के पद से सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे जबकि 2003 में उनकी शादी इटावा के अशोक नगर निवासी दिवारी लाल की पुत्री गीता के साथ हुई थी, जम्मू में तैनाती से पहले रामवकील अलीगढ़ में तैनात थे, पिछले दो साल बच्चो की बेहतर शिक्षा के लिए शहीद ने अपने दोनों बड़े बेटे राहुल और साहुल का दाखिला केंद्रीय विद्यालय इटावा में करवा दिया था जिस कारण गीता अपने तीनों बच्चों को लेकर मायके में रह रही थीं ।

गीता के पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में हैड कांस्टेबिल के पद पर कानपुर में तैनात है। गीता के ससुराल मैनपुरी में उनके ससुर का पहले ही निधन हो चुका है जबकि घर में अकेले उनके पति और मां है। शहीद की पत्नी गीता बताती है कि छुट्टी से वापस जाते समय उनके पति कहकर गये थे कि अगले महीने मार्च में आकर लोन निकाल कर अपना खुद का मकान बनवा लेंगे।

परिजनो का कहना है कि पाकिस्तान के बारे मे राजनीति ना करके पूरा देश आंतकियो के सफाये के लिए एक जुट हो कर खडा हो। यही सभी से गुजारिश है।


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