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केरल में प्रवासी समुदाय के लिए 150 करोड़ रुपये की योजनाएं मंजूर

केरल सरकार ने आज यहां प्रदेश के प्रवासी समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाओं के लिए 150 करोड़ रुपये स्वीकृत किए

केरल में प्रवासी समुदाय के लिए 150 करोड़ रुपये की योजनाएं मंजूर
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तिरुवनंतपुरम। केरल सरकार ने आज यहां प्रदेश के प्रवासी समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाओं के लिए 150 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। विधानसभा में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि सबसे ज्यादा 81 करोड़ रुपये आवंटन लोक केरल सभा (एलकेएस) की विभिन्न योजनाओं के लिए स्वीकृत हुए थे।

उन्होंने कहा कि नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ, विभिन्न मध्य एशियाई देशों में मारे गए केरलवासियों के शव उनके घरों तक निशुल्क लाए जाएंगे।

एलकेएस का गठन 2018 में पिनरई विजयन सरकार द्वारा किया गया था जिसमें 141 विधायकों, केरल के सांसदों और केरल वासियों द्वारा देश के अंदर और बाहर स्थापित संस्थानों के 130 सदस्यों सहित कुल 351 सदस्य थे। इसमें केरल के प्रवासियों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक छत पर लाया गया था।

इसाक ने अपने भाषण में कहा, "25 करोड़ रुपये सांतवनम योजना के लिए आवंटित हुए जिसमें एक लाख रुपये प्रति वर्ष से कम कमाने वाले प्रवासियों को आपातकाल की स्थिति में सहयोग दिया जाएगा।"

उन्होंने कहा, "15 करोड़ रुपये केरल वापस लौट कर अपना स्वतंत्र उद्योग शुरू करने वाले प्रवासी सदस्यों को ब्याज और पूंजी सब्सिडी उपलब्ध कराने के लिए आवंटित हुए।"

उन्होंने कहा, "पांच करोड़ रुपये भारत के बाहर होने वाले विभिन्न प्रवासी महोत्सवों के खर्चो के लिए आवंटित हुए।"

उन्होंने प्रवासी डिविडेंड पेंशन योजना की घोषणा की जिसके तहत एक बार पांच लाख रुपये का भुगतान करने वाले प्रवासी केरलवासियों (एनआरके) को 2,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी।

मासिक पेंशन का भुगतान योजना से जुड़ने के पांच साल बाद शुरू होगा तथा ज्यादा भुगतान चाहने वालों को पांच के अनुपात में ज्यादा रुपये अदा करने होंगे।

इसाक ने प्रवासियों को वापस लाने के लिए पुनर्वास कार्यक्रम के लिए 15 करोड़ रुपये और अन्य नौ करोड़ रुपये एनआरके वेलफेयर फंड के लिए आवंटित किए।

एक अध्ययन के अनुसार, केरल के लगभग 21 लाख लोग दुनियाभर के देशों में काम कर रहे हैं जिनके द्वारा केरल में प्रतिवर्ष लगभग 85,092 करोड़ रुपये भेजे जाते हैं।

इनमें से लगभग 90 फीसदी लोग विभिन्न मध्य एशियाई देशों में काम कर रहे हैं।

एक अनुमान के अनुसार, लगभग 10 लाख लोग केरल वापस लौट आए हैं।


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