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20 विधायकों पर संकट, निगाहें राष्ट्रपति पर

दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका देते हुए निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को संसदीय सचिव के रूप में लाभ के पद धारण करने के लिए आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश की है

20 विधायकों पर संकट, निगाहें राष्ट्रपति पर
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नई दिल्ली। दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को एक बड़ा झटका देते हुए निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को संसदीय सचिव के रूप में लाभ के पद धारण करने के लिए आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश की है। कांग्रेस द्वारा जून 2016 में की गई एक शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी राय भेज दी है। उधर चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद दिल्ली सरकार ने फौरी राहत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हालांकि न्यायालय ने राहत देने से साफ इंकार करते हुए कहा कि आप लोगों को सबसे पहले चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रखना चाहिए था। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने आप विधायकों को फटकार भी लगाई और कहा कि समय रहते चुनाव आयोग के सामने स्पष्टीकरण देना चाहिए था, हम निवार्चन आयोग की सिफारिश को खारिज नहींकर सकते हैं।

आप विधायकों की याचिका पर न्यायालय में सोमवार को भी सुनवाई होगी। इससे पहले न्यायालय ने आप के विधायकों को पूछा था कि वो क्यों नोटिस के बावजूद चुनाव आयोग गए थे। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने कहा था कि आप के 20 विधायक 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' के दायरे में आते हैं। ज्ञात हो कि कांग्रेस के आवेदन में कहा गया था कि जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन) सहित आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया है। जरनैल सिंह ने पिछले साल पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

20 सीटों के लिए उपचुनाव कराना पड़ेगा

संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधार पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं। निर्वाचन आयोग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सूत्रों ने कहा है कि आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी गई है। इस कदम से 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा की 20 सीटों के लिए उपचुनाव कराना पड़ेगा। वर्तमान में आधिकारिक तौर पर आप के 66 सदस्य सदन में हैं। अन्य चार सीटें भाजपा के पास हैं। अगर 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो सत्ताधारी दल के पास अब भी दिल्ली विधानसभा में बहुमत बना रहेगा।

आप ने कहा है कि निर्वाचन आयोग की सिफारिश गलत आरोपों पर आधारित है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने सिर्फ अपनी चहुमुखी विफलता की तरफ से ध्यान हटाने के लिए अपने एजेंटों के जरिए निर्वाचन आयोग की प्रतिष्ठा के साथ गंभीर रूप से समझौता किया है।

चुनाव आयोग ने विधायकों से मांगा था स्पष्टीकरण

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में निर्वाचन आयोग ने आप विधायकों की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लाभ के पद का मामला खत्म करने का आग्रह किया था। आयोग ने आप विधायकों को नोटिस जारी कर इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा था। आप सरकार ने मार्च 2015 में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता हटाने) अधिनियम, 1997 में एक संशोधन पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के पदों को लाभ के पद की परिभाषा से मुक्त करने का प्रावधान था। लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस संशोधन को स्वीकृति देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितम्बर 2016 में सभी नियुक्तियों को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि था कि संसदीय सचित नियुक्त करने के आदेश उपराज्यपाल की मंजूरी के बगैर जारी किए गए थे।

केजरीवाल तत्काल दें इस्तीफा : विपक्ष

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को पद के अयोग्य ठहराये जाने के मद्देनजर आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की। कांग्रेस के प्रवक्ता एवं दिल्ली प्रदेश कांगेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि राजनीति में शुचिता की बात करने वाले श्री केजरीवाल को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। वहींभाजपा प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने श्री केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की और उन्हें कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आयोग के फैसले से आप सरकार की कलई जनता के सामने खुल कर सामने आ गई है। कुछ वर्षों पूर्व 'इंडिया अगेन्स्ट करप्शनÓ के रूप में शुरू हुई यह पार्टी अब 'आई एम करप्शनÓ पार्टी बन गई है।


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