Top
Begin typing your search above and press return to search.

कल्चुरीवंश के बूढ़ातालाब पर अस्तित्व का संकट

शहर के मध्य में स्थित बूढ़ातालाब के अस्तित्व पर संकट मंडराते नजर आ रहा है। एक ओर निगम प्रबंधन का दावा किया है

कल्चुरीवंश के बूढ़ातालाब पर अस्तित्व का संकट
X

रायपुर। शहर के मध्य में स्थित बूढ़ातालाब के अस्तित्व पर संकट मंडराते नजर आ रहा है। एक ओर निगम प्रबंधन का दावा किया है कि पर्यटन मंडल को 6 माह पहले वॉटर स्पोर्ट्स (जल क्रीड़ा) के लिए अनुमति प्रदान की गई थी। लेकिन पर्यटन मंडल ने शर्तों का उल्लंघन कर मुंबई की एक कंपनी से अनुबंध बाद चौपाटी बनाने का ठेका दे दिया। जिसमें स्वयं सेवी संगठनों के आगे आने के बाद और विषय की सुर्खियों में छाने व विवाद की स्थिति बाद जिलाधीश रायपुर के निर्देश पर फिलहाल रोक लगी है। वहीं कल्चुरीवंश के तालाब पर अतिक्रमण की बार-बार दोहराए जाने ने नगर के तालाबों पर बढ़ते संकट को साफ कर दिया हैं। एक तरफ जिलाधीश रायपुर राजधानी के तालाबों को गहरीकरण कर नया स्वरूप देने की बात कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ तालाबों में व्यवसायीकरण के चलते हो रहे प्रयासों ने कई सवालों को जन्म दे दिया हैं।

महापौर प्रमोद दुबे का कहना है कि एक वर्ष पहले पर्यटन मंडल द्वारा एक कार्यक्रम के अंतर्गत शहर के तालाबों की सौंदर्यीकरण को लेकर प्रस्तुति करण दिया गया। जिसमें राज्य के अलावा अन्य राज्यों की कई कंपनियों ने हिस्सा लिया। उसी कार्यक्रम में एक प्रस्तुतिकरण के दौरान बूढ़ातालाब में वॉटर स्पोर्ट्स का प्रस्ताव दिया गया था। जिसमें निगम और पर्यटन मंडल के मध्य एक अनुबंध हुआ था। अनुबंध के अनुसार पर्यटन मंडल बूढ़ातालाब में वॉटर स्पोर्ट्स प्रारंभ कर होने वाली आय का 50 फीसदी हिस्सा निगम के राजस्व खाते में जमा कराएगा। इसी दृष्टिकोण से निगम की सामान्य सभा और मेयर इन काउंसिल में चर्चा उपरांत अनापत्ति पर्यटन मण्डल को जारी की गई थी। लेकिन यहां पर पर्यटन मंडल ने उक्त प्रस्ताव को किस तरह से बदलकर चौपाटी बनाने के लिए शुरु किया इससे निगम प्रबंधन भी अनभिज्ञय है।

महापौर का कहना है कि चौपाटी बनाने की अनुमति कभी भी निगम ने नहीं दी हैं। इधर महापौर ने साफ कह दिया है कि अगर बूढ़ातालाब के आस पास चौपाटी बनाई जाती है तो विरोध किया जाएगा। उनका कहना था कि इसके पहले भी एक बार इस तरह के प्रयास हो चुके है जिसमें तालाब को पाटकर चौपाटी बनाने की क्रिया प्रक्रिया शुरु हुई थी और एक शैक्षणिक संस्थान के बाउंड्रीवॉल को तोड़ा गया था। उस दरम्यिान विरोध के बाद उक्त प्रक्रिया रुकी थी। इसी प्रक्रिया में एक बार फिर से तेजी आई है और चौपाटी बनाने का विरोध शुरु हो गया हैं। इधर एक एनजीओ के सदस्य का कहना है कि यह ऐतिहासिक तालाब है जिसमें कल्चुरीवंश से जुड़ा है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it