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अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट मामले में क्राइम ब्रांच ने नोएडा सीएमओ ऑफिस से जुटाए दस्तावेज

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जो दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था और गैंग के सात लोगों को गिरफ्तार किया था। इस किडनी रैकेट के तार नोएडा के अस्पतालों से भी जुड़े हुए हैं। इसको लेकर क्राइम ब्रांच ने यहां से भी सबूत जुटाना शुरू कर दिया है

अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट मामले में क्राइम ब्रांच ने नोएडा सीएमओ ऑफिस से जुटाए दस्तावेज
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नोएडा। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जो दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था और गैंग के सात लोगों को गिरफ्तार किया था। इस किडनी रैकेट के तार नोएडा के अस्पतालों से भी जुड़े हुए हैं। इसको लेकर क्राइम ब्रांच ने यहां से भी सबूत जुटाना शुरू कर दिया है।

अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बीते गुरुवार को गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील कुमार शर्मा के कार्यालय से जिले में 2022 से अब तक हुए किडनी प्रत्यारोपण मामलों के दस्तावेज और विवरण एकत्र किए।

इसके मुताबिक अब तक जिले में सबसे ज्यादा ग्रेटर नोएडा में बने यथार्थ अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लाट के मामले सामने आए हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक, जिले में सेक्टर-62 फोर्टिस अस्पताल, सेक्टर-128 जेपी अस्पताल, ग्रेटर नोएडा स्थित यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित यथार्थ अस्पताल, सेक्टर-26 अपोलो अस्पताल, सेक्टर-104 प्राइमा अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण होता है।

ग्रेटर और ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ अस्पताल व प्राइमा अस्पताल में होने वाले अंग प्रत्यारोपण की अनुमति के लिए सीएमओ कार्यालय से लेनी होती है। समिति के चेयरमैन गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ हैं। समिति में एसीएमओ डा. ललित कुमार, फिजीशियन डा वीबी ढाका, सर्जन डा. जीपी गुप्ता, अतुल कुमार आदि शामिल हैं।

सीएमओ डॉ सुनील कुमार शर्मा का कहना है कि वह यथार्थ और प्राइमा अस्पताल में बने अंग प्रत्यारोपण की समिति के चेयरमैन हैं। दोनों अस्पताल में अबतक 119 अंग प्रत्यारोपण हुए हैं। करीब 12 प्राइमा अस्पताल व बाकी यथार्थ अस्पताल में हुए हैं। इनमें किडनी, लिवर, हृदय जिला प्रत्यारोपण प्रमुख हैं। मरीज के साथ अंगदाता के कार्यालय पहुंचने के बाद जरूरी दस्तावेज की जांच के बाद प्रक्रिया को पूर्ण करने पर एनओसी दी जाती है। अंग प्रत्यारोपण करने वाले डाक्टर को नहीं आना होता है। इसलिए महिला डाक्टर कार्यालय नहीं आई। उसके जिले में प्रैक्टिस करने संबंधी दस्तावेज की जांच के बाद कुछ कहा जा सकता है।

यथार्थ अस्पताल में जो ट्रांसप्लांट हुए उनमें बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अलावा विभिन्न देश से मरीज और अंगदाता पहुंचे थे। उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस ने एक केस संबंध में कुछ जानकारी मांगी थी, जो उनको उपलब्ध करा दी गई है। गौरतलब है कि इस मामले में जुड़ी डॉक्टर विजया राजकुमारी ही वह कड़ी हैं जो नोएडा के अस्पतालों को इस पूरे रैकेट के साथ जोड़ती हैं। ये डॉक्टर तमाम अस्पतालों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में अपनी सेवाएं दे रही थीं। जिनमें यथार्थ और अन्य अस्पताल शामिल हैं।

फिलहाल इस पूरे मामले में क्राइम ब्रांच अपनी जांच में जुटा हुआ है और जल्द ही इसमें कई और सफेदपोशों का नाम और उनके चेहरों का खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है।


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