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क्रिकेट, कोहली और बाजार

आईपीएल का लोभ ऐसे महान खिलाड़ियों को क्यों है यह सब जानते हैं-अभी तो महेंद्र सिंह धोनी भी यहां जमे हैं

क्रिकेट, कोहली और बाजार
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- अरविन्द मोहन

आईपीएल का लोभ ऐसे महान खिलाड़ियों को क्यों है यह सब जानते हैं-अभी तो महेंद्र सिंह धोनी भी यहां जमे हैं और खराब प्रदर्शन के बावजूद मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। अपने ही क्यों कई विदेशी खिलाड़ी भी अपने यहां के क्रिकेट से सन्यास लेकर यहां जमे हुए हैं। उनकी तुलना में माही, कोहली, रोहित और अश्विन के जमने का एक और मतलब है-इनको वैसे भी कुछ ज्यादा रकम का कान्ट्रैक्ट।

बीच आईपीएल में संन्यास की घोषणा की उम्मीद तो रोहित शर्मा से भी नहीं थी, लेकिन विराट कोहली के टेस्ट से सन्यास की घोषणा ने क्रिकेट जगत और उनके करोड़ों प्रशंसकों को चौंकाया। जल्दी ही इंगलैंड दौरे के लिए टीम का चुनाव होना है। विराट बहुत बड़े खिलाड़ी और महान टेस्ट कप्तान रहे हैं और बीच में फार्म की हल्की गिरावट (और कोरोना की भी मार) के बाद से फिर खेलने लगे हैं और आईपीएल में भी सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बनने की रेस में नए-नए सितारों को चुनौती दे रहे हैं। उनका फिटनेस और मैदान में अपने कम उम्र और एकदम नए कप्तान समेत सबके साथ व्यवहार बहुत अच्छा है, उनका सेलेबरेशन का तरीका अभी भी प्रतिद्वन्द्वियों को चुभता है तो उनकी बल्लेबाजी का खौफ बना हुआ है। रोहित पर ये बातें लागू नहीं होती। अब उनका क्रिकेट साफ ढलान पर है- सिर्फ टेस्ट में ही नहीं, सभी फार्मेट में। और बेचारे रविचंद्रन अश्विन तो सेलेक्शन के तौर तरीकों से ऊबकर सारे फार्मेट से सन्यास घोषित कर चुके हैं। उन्होंने भी आईपीएल खेलते रहने का फैसला किया था-ये दोनों तो खेल ही रहे हैं और अश्विन टेस्ट के स्पेशलिस्ट होकर बीस ओवर वाले क्रिकेट में धुना रहे हैं।

आईपीएल का लोभ ऐसे महान खिलाड़ियों को क्यों है यह सब जानते हैं-अभी तो महेंद्र सिंह धोनी भी यहां जमे हैं और खराब प्रदर्शन के बावजूद मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। अपने ही क्यों कई विदेशी खिलाड़ी भी अपने यहां के क्रिकेट से सन्यास लेकर यहां जमे हुए हैं। उनकी तुलना में माही, कोहली, रोहित और अश्विन के जमने का एक और मतलब है-इनको वैसे भी कुछ ज्यादा रकम का कान्ट्रैक्ट है लेकिन इन सबको विज्ञापनों की भारी कमाई भी हो रही है। एक-एक विज्ञापन करने का रेट भी अच्छा है-अभी धोनी भी अच्छे अच्छों को टक्कर दे रहे हैं। सिर्फ क्रिकेटरों को ही नहीं, दूसरे स्टार खिलाड़ियों और फिल्मी सितारों को भी। ऐसे में इंस्टाग्राम पर 27 करोड़ से ज्यादा और सोशल मीडिया पर लगभग सात करोड़ फालोअर रखने वाले कोहली अगर हर विज्ञापन करने का प्रति वर्ष दस करोड़ रुपए तक लेते हैं तो वह किसी को नहीं अखरता। उनके पास करीब चालीस ब्रांड हैं। माही भी जमाने तक सबसे बड़ा ब्रांड से और उनका रेट सबसे ऊपर था-संभवत: बाद के दिनों वाले सचिन तेंडुलकर से भी ज्यादा।

अब इन खिलाड़ियों को ही नहीं रणजी तक खेलने वाले हर क्रिकेटर को आजकल ठीक ठाक पैसे मिलने लगे हैं- सेंट्रल कान्ट्रैक्ट मिल जाए या आईपीएल की बोली में लाटरी लग जाए तो बल्ले-बल्ले। टेस्ट और वन डे का रेट भी काफी है। दो-चार बार भी 'देश की सेवा' अर्थात देश की टीम में शामिल होने का अवसर मिल जाए तो रिंकू सिंह का ही नहीं किसी भी कमजोर पृष्ठभूमि वाले लड़के का नसीब ही बदल जाता है। माही और बुमराह जैसा लंबा चल गए तो क्या पूछना। सबसे बड़ी बात यह है कि आज साल में जितना क्रिकेट होने लगा है उसमें खिलाड़ी जान की अर्थात शरीर और थकान की परवाह नहीं करके खेलते ही जाते हैं।

इंजरी छुपाते हैं और क्रिकेट प्रशासकों पर ऐसे खिलाड़ियों के पूरा फिट होने का इंतजार करने का दबाव रहता है। टीम में चुने जाने की मारामारी जरूर बढ़ी है लेकिन कमाई के आगे किसी को भी खिलाड़ी के थकान और स्वास्थ्य की परवाह नहीं है। खुद खिलाड़ियों को भी नहीं है तो बाजार और दर्शक को क्यों होगी। जब साल की कमाई सौ से लेकर दो हजार करोड़ रुपए की होने लगे तो कौन अपना कैरियर लंबा नहीं खींचना चाहेगा। धोनी, कोहली, रोहित और अश्विन ही नहीं काफी सारे विदेशी खिलाड़ी भी अपनी पसंद के अनुसार का फार्मेट छोड़कर दूसरे फार्मेट से सन्यास ले रहे हैं। कहना न होगा कि इसमें सर्वाधिक नुकसान उसे टेस्ट फार्मेट का हो रहा। यही जिसे सभी फार्मेट में श्रेष्ठ और खिलाड़ी की असली प्रतिभा सामने लाना वाला माना जाता है।

विराट कोहली जैसे क्रिकेटरों को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने वन डे क्रिकेट, जिसे कभी पाजामा क्रिकेट भी कहा जाता था, से पिट रहे टेस्ट मैचों में जान लौटाई है। सचिन, धोनी, सौरव, कोहली और पुजारा हमारे ऐसे खिलाड़ी रहे हैं। आज ट्वेंटी ट्वेंटी से वन डे क्रिकेट को ही खतरा है और ट्रेंड देखेंगे तो पाएंगे कि हर फार्मेट छोड़कर खिलाड़ी इसी की तरफ भाग रहे हैं जबकि इस क्रिकेट को घटिया और बॉलिंग का दुश्मन बताया जा रहा है। इसमें भी आईपीएल दुनिया भर के क्रिकेटरों में लोकप्रिय हुआ है क्योंकि उसमें सबसे अधिक दाम मिलता है। दु-प्लेसी, ब्रावो, रसेल, सुनील नारायण समेत दर्जनों ऐसे विदेशी खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने देश की टीम को छोड़ दिया है लेकिन आईपीएल को नहीं। और पाकिस्तान के क्रिकेटर यहां मौका न मिलने से सबसे ज्यादा कुढ़ते है। इतना ही नहीं यहां विज्ञापन में भी अनेक विदेशी खिलाड़ी आते हैं और उसी तरह उनका ब्रांड मूल्य भी है जैसा कि देशी खिलाड़ियों का- हालांकि कुल कमाई के मामले में देशी स्टार कहीं आगे हैं।

कोहली के साथ सिर्फ कैरियर लंबा खींचने और फिटनेस जैसा सवाल नहीं है। वे सबसे फिट खिलाड़ियों में रहे हैं और यो-यो टेस्ट की अनिवार्यता उनके कप्तान रहते ही बनी। कोहली बाजार का काम करने के साथ अपना बाजार भी बनाने के चक्कर में हैं और उनके मैनेजरों को लगता है कि अगर वे कुछेक साल और चले तथा धूम-धड़ाका करते रहे तो उनके अपने ब्रांड भी जम जाएंगे। फिर वह कमाई टिकाऊ और जीवन भर के लिए हो जाएगी। ऐसा प्रयास सचिन, माही और सौरव गांगुली समेत कई खिलाड़ियों ने किया था लेकिन बहुत छोटे पैमाने पर। किंग कोहली यह काम भी किंग साइज ही चलाते हैं।

उन्होंने स्पोर्टसवियर, रेस्तरां, प्लांट आधारित मांसाहार/फूड, काफी ब्रांड, स्वास्थ्य और फिटनेस कंपनी, जिम की शृंखला और फैशन का मंच तैयार किया है। पत्नी अनुष्का शर्मा का जुड़ाव तो इनसे है ही, यह भी माना जा रहा है कि उन्होंने आगे इन पर ध्यान केंद्रित करने का मन बनाया है। वे बहुत विज्ञापन की जगह महंगे और कम विज्ञापन करना चाहते हैं। पुमा कंपनी से करार उन्होंने अपने ब्रांड स्थापित करने के लिए किए हैं। माना जाता है कि उनका ब्रांड मूल्य 1900 करोड़ रुपए का है। वे इसे घटाने देना नहीं चाहते। संन्यास का फैसला भी इस ब्रांड मूल्य को बचाने का ही है क्योंकि इधर वे टेस्ट में धूम धड़ाका नहीं कर पा रहे थे।


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