जीएसटी से ईमानदार और पारदर्शी व्यापारिक व्यवस्था का निर्माण: कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को ‘एक राष्ट्र-एक कर-एक बाजार’ की अवधारणा को साकार करने वाला कहा

नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को ‘एक राष्ट्र-एक कर-एक बाजार’ की अवधारणा को साकार करने वाला बताते हुये आज कहा कि इससे देश में एक ईमानदार और पारदर्शी व्यापारिक व्यवस्था का निर्माण हो रहा है जिसका लाभ युवाओं को मिल रहा है।
कोविंद ने यहाँ बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि जीएसटी व्यवस्था से व्यापारियों के लिए पूरे देश में कहीं पर भी व्यापार करना आसान हुआ है और उनकी कठिनाइयाँ कम हुई हैं।
उन्होंने शुरुआती दिक्कतों के बावजूद देश के बेहतर भविष्य के लिए बहुत कम समय में इस नयी प्रणाली को अपनाने के लिए बधाई देते हुये कहा कि सरकार ने व्यापार जगत से मिल रहे सुझावों को ध्यान में रखकर जीएसटी में सुधार की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखा है।
उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था औसतन 7.3 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है। भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2014 में वैश्विक जीडीपी में भारत का योगदान 2.6 प्रतिशत था। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अब यह बढ़कर 3.3 प्रतिशत हो गया है। आज भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अब उसके सामने चौथी औद्योगिक क्रांति में निर्णायक भूमिका निभाने का अवसर आया है। सरकार का यह प्रयास है कि देश के लोग इस अवसर का पूरा लाभ उठायें।
उन्होंने कहा कि युवा सम्मान के साथ अपना रोजगार शुरू करें और दूसरे को भी रोजगार दें, यह सरकार की प्राथमिकता रही है। स्वरोजगार को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने व्यापक सुधार किये हैं जिसकी विश्व स्तर पर सराहना हो रही है। इन सब सुधारों के परिणामस्वरूप सुगम कारोबारी की रैंकिंग में भारत जहाँ 2014 में 142वें स्थान पर था, वहीं अब 65 पायदान चढ़कर 77वें स्थान पर पहुँच गया है। यह एक असाधारण उपलब्धि है।
राष्ट्रपति ने कहा कि नौजवानों को व्यवसाय के लिए आसानी से ऋण प्राप्त हो, इसके लिए ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ के तहत, बिना किसी गारंटी के सात लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के ऋण दिये गये हैं। इसका लाभ, ऋण प्राप्त करने वाले 15 करोड़ से ज्यादा लोगों ने उठाया है।
इस योजना के तहत, चार करोड़ 26 लाख से ज्यादा लोगों ने पहली बार ऋण लेकर अपना व्यवसाय प्रारंभ किया है। ‘स्टार्ट अप इंडिया’ तथा ‘स्टैंड अप इंडिया’ के माध्यम से नौजवानों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में आर्थिक सहायता प्रदान की गयी है। इसके फलस्वरूप आज भारत का नाम ‘स्टार्ट अप’ की दुनिया में अग्रिम पंक्ति के देशों में लिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ का सबसे अधिक लाभ महिलाओं को ही मिला है। अब तक देशभर में दिए गए 15 करोड़ मुद्रा लोन में से 73 प्रतिशत लोन महिला उद्यमियों ने प्राप्त किये हैं। ‘दीन दयाल अंत्योदय योजना’ के तहत लगभग छह करोड़ महिलायें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं।
ऐसे महिला स्वयं-सहायता समूहों को सरकार द्वारा 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण उपलब्ध कराया गया है। यह राशि वर्ष 2014 से पहले के चार वर्षों में दिये गये ऋण से ढाई गुना ज्यादा है। देश के छोटे और मझोले उद्योगों में महिला उद्यमियों की भागीदारी सुनिश्चित करने लिए अब बड़ी सरकारी कंपनियों के लिए महिला उद्यमियों से कम से कम तीन प्रतिशत खरीदारी अनिवार्य की गयी है।


