सफाईकर्मियों की हड़ताल का माकपा ने किया समर्थन
माकपाने हरियाणा में नौ मई से चल रही नगर पालिकाओं में कार्यरत सफाई कर्मी, सीवर मैन, अग्निशमन कर्मी, वाहन चालक, विद्युत कर्मी, पंप चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर आदि ठेके पर लगे कर्मचारियों की हड़ताल

गुड़गांव। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने हरियाणा में नौ मई से चल रही नगर पालिकाओं में कार्यरत सफाई कर्मी, सीवर मैन, अग्निशमन कर्मी, वाहन चालक, विद्युत कर्मी, पंप चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर आदि ठेके पर लगे कर्मचारियों की हड़ताल व उनकी मांगों का पूर्ण समर्थन करते हुए सरकार के आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एज्मा) लगाने की आलोचना की है।
माकपा ने यहां जारी बयान में सरकार के कदम को आग में घी डालने की संज्ञा दी है। माकपा जिला सचिव शंकर प्रजापति के यहां जारी बयान के अनुसार प्रदेश की नगर पालिकाओं, नगर परिषदों व नगर निगमों के लगभग 30 हजार कर्मचारी लंबे समय से अपनी मांगों के लिए आंदोलनरत हैं।
9 मई से तीन दिन की हड़ताल पर जाने से पहले ये कर्मचारी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन के सोनीपत आवास पर प्रदर्शन करने के अलावा सभी शहरों में 24 घंटे की भूख हड़ताल करके अपनी समस्याएं सरकार के सामने रख चुके हैं, परंतु सरकार ने अभी तक उनसे बातचीत नहीं की है जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की घोर संवेदनहीनता जीता जागता प्रमाण है।
प्रजापति ने कहा कि एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर किए जा रहे प्रचार में करोड़ों रूपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की सरकार वास्तव में स्वच्छता के कार्य में लगे हुए सफाई कर्मचारियों की समस्याओं को सुनने को भी तैयार नहीं है। ठेकेदार उनका शोषण कर रहे हैं और कोई सामाजिक सुरक्षा उन्हें नहीं दी जा रही।
प्रजापति के अनुसार सरकार और प्रशासन के उपेक्षापूर्ण रवैये की वजह से पिछले दिनों में अनेकों सीवर मैन को सफाई का काम करते हुए अपनी जान गंवानी पड़ी है। कई-कई महीनों से उनका वेतन नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की सरकार को न तो सफाई कर्मचारियों की ही चिंता है और न ही प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की चिंता है। पिछले छ: दिन से प्रदेश के सभी शहरों में सफाई का काम ठप्प पड़ा है और हर जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। इनसे गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ रहा है।
माकपा ने कर्मचारियों की मांगों को पूरी तरह जायज बताते हुए सरकार से मांग की है कि वह फौरन हड़ताली कर्मचारी नेताओं से बातचीत करके उनकी मांगों और समस्याओं का समाधान करे तथा ईएसएमए कानून को वापिस ले ताकि प्रदेश में सफाई व्यसव्था की चिंताजनक स्थिति को संभाला जा सके।


