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सीपीआईएम ने त्रिपुरा नगर निकाय चुनाव रद्द करने की मांग की

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी) ने बीजेपी पर त्रिपुरा नगर पालिका चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया है

सीपीआईएम ने त्रिपुरा नगर निकाय चुनाव रद्द करने की मांग की
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नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी) ने बीजेपी पर त्रिपुरा नगर पालिका चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया है। सीपीआईएम ने चुनाव आयोग से राज्य में नगर निकायों के चुनावों को रद्द करने की मांग की है। सीपीआईएम पोलित ब्यूरो ने अगरतला नगर निगम और 19 अन्य नगर निकायों में हुए चुनाव को लेकर बीजेपी पर आरोप लगाया है कि त्रिपुरा में नगरपालिका चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली और विपक्षी उम्मीदवारों को डराने-धमकाने काम बीजेपी की तरफ से चुनाव जीतने के लिए किया गया है। सीपीआईएम ने चुनाव आयोग को राज्य में अगरतला, धर्मनगर, खोवाई, बेलोनिया और मेलाघर नगर निकायों के चुनावों को रद्द करने की मांग की है।

सीपीआईएम में ने दावा किया है कि, मतदान के दिन से पहले, अगरतला और अन्य शहरों में, बीजेपी के हिंसक गिरोह ने घरों का दौरा करना शुरू कर दिया और माकपा उम्मीदवारों, मतदान एजेंटों और स्थानीय नेताओं को धमकी दी कि वे मतदान के दिन बाहर न जाएं।

सीपीआईएम नेता और पूर्व सांसद सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया है कि मतदान के दिन अगरतला, धर्मनगर, खोवाई, बेलोनिया और मेलाघर में भाजपा के लोगों द्वारा व्यापक बूथ कैप्चरिंग और कई जगहों पर मतदाताओं की शारीरिक रोकथाम की गयी। अगरतला कस्बे में वाम दलों के पोलिंग एजेंटों को पीटा गया और कई बूथों से खदेड़ दिया गया। अधिकांश बूथों पर मतदान शुरू होते ही कब्जा कर लिया गया।

सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी के अनुसार इससे पहले सात नगर पालिकाओं में विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोका गया था। नतीजा यह रहा कि नाम वापस लेने के बाद भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध चुन लिए गए। चुनाव प्रणाली, लोकतंत्र और वोट के अधिकार पर ये सभी हमले सुप्रीम कोर्ट कमेंट के बावजूद हुए हैं। कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित करने के लिए केंद्रीय पुलिस बलों की पर्याप्त तैनाती सुनिश्चित करने के आदेश पारित किए। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन किया है। चुनाव में धांधली को लेकर पुलिस और केंद्रीय पुलिस बल मूकदर्शक बने रहे।

वहीं दूसरी ओर मतदान के बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सत्तारूढ़ पार्टी पर हिंसा का आरोप लगाया था। पार्टी की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 नवंबर को मतगणना होने तक मतपेटियों की सुरक्षा के लिए सीएपीएफ कर्मियों को तैनात किया गया है।

गौरतलब है कि त्रिपुरा के 14 नगर निकायों के चुनाव के लिए गुरुवार को 81 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वहीं विपक्षी दलों- माकपा और टीएमसी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की। त्रिपुरा की सभी निकाय सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवार उतारे थे।


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