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गौरक्षक गिरफ्तार, पुलिस की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल

दक्षिण पूर्वी दिल्ली में पशुओं की रक्षा के बहाने युवकों को पीटे जाने केे मामले ने नया मोड़ ले लिया है

गौरक्षक गिरफ्तार, पुलिस की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल
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नई दिल्ली। दक्षिण पूर्वी दिल्ली में पशुओं की रक्षा के बहाने युवकों को पीटे जाने केे मामले ने नया मोड़ ले लिया है। पूरी घटना में जहां पशुओं को ट्रक में भरकर ले जा रहे युवकों को गिरफ्तार किया गया था, तो वहीं सोमवार को कथित तौर पर पशु अधिकारों के लिए लड़ने वाली संस्था के कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया है।

जिला पुलिस उपायुक्त रोमिल बानिया ने मामले की पुष्टिï करते हुए बताया कि आरोपी की पहचान शशांक शर्मा (32) के रूप में की गई है, जो रोहिणी इलाके में रहने वाला है और खुद को पीपुल फॉर एनिमल (पीएफए) का सदस्य बता रहा है। हालांकि अभी पुलिस उसके दावों की पुष्टिï कर रही है। शशांक स्कूल में वैन चलवाता है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत पर एक-दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज किया है और अब शशांक की गिरफ्तारी के बाद दोनों पक्षों के सदस्यों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि अभी शशांक शर्मा के साथ युवकों की पिटाई करने वाले अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ की जा रही है। दूसरी ओर, पशुओं की तस्करी कर रहे युवकों के परिजनों का आरोप है कि पुलिस मामले में पक्षपात कर रही है और उनसे लिखित शिकायत लिए बगैर ही पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था।

इसके साथ ही पुलिस ने सिर्फ साधारण धाराओं में मामला दर्ज किया था, जबकि पशु ट्रक से ले जा रहे युवकों के परिजनों का आरोप है कियुवकों के साथ लूटपाट भी की गई थी। मामले के चश्मदीद खालिज ने बताया किट्रक को 25 से 30 लोगों ने घेर रखा था और ट्रक सवार तीनों युवकों को पीटने की बात कर रहे थे। खालिजा ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह कालका जी पुलिस थाने में मामला दर्ज कराने भी गई थी, लेकिन एसएचओ ने कथित तौर पर उनकी शिकायत नहीं ली।

पूरे मामले में शिकायतकर्ता की भूमिका में आए गौरव गुप्ता भी अब फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि वह जिस पीएफए की छापेमारी दल का खुद को अध्यक्ष बता रहे हैं, वैसी कोई छापेमारी दल पीएफए में गठित ही नहीं हुई है। इस बारे में पिछले वर्ष ही एक मामले के बाद पीएफए की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने स्पष्टïीकरण दिया था। बता दें कि गौरव कई मामले में खुद को पीएफए के छापेमारी दल का अध्यक्ष बताते हैं और वह इससे पहले वर्ष 2015 के दौरान भी शकरपुर इलाके में पशु ले जा रहे लोगों से कथित तौर मारपीट के बाद पुलिस के पास शिकायतकर्ता के रूप में आए थे।


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