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कोविड स्थानिक हो सकता है, लेकिन भारत में 'खत्म' नहीं हुआ है : विशेषज्ञ

कोविड-19 भारत में स्थानिक महामारी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इस घातक संक्रामक बीमारी का 'अंत' हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के उचित व्यवहार और टीकाकरण को जारी रखने की जरूरत है

कोविड स्थानिक हो सकता है, लेकिन भारत में खत्म नहीं हुआ है : विशेषज्ञ
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नई दिल्ली। कोविड-19 भारत में स्थानिक महामारी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इस घातक संक्रामक बीमारी का 'अंत' हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के उचित व्यवहार और टीकाकरण को जारी रखने की जरूरत है।

एक समाचार आउटलेट को दिए एक साक्षात्कार में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि समग्र कोविड-19 स्थिति के संदर्भ में 'भारत किसी प्रकार की स्थानिकता के चरण तक पहुंच सकता है'।

इस स्थानिक महामारी का प्रकोप लगातार मौजूद है, लेकिन एक विशेष क्षेत्र तक सीमित है। यह बीमारी फैलती है और इसके फैलने की दर का अनुमान लगाया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में बीमारी के मामलों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के रूप में एक महामारी को परिभाषित करता है। दूसरी ओर, इसे महामारी तब कहा जाता है, जब घातक रूप से फैलती है और प्रत्येक दिन मामलों की संख्या बढ़ती रहती है।

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के रेस्पिरेटरी मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अनिमेष आर्य ने आईएएनएस को बताया, "स्थिति को देखते हुए यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि कोविड भारत में स्थानिक है, लेकिन यह कोविड के 'अंत' के बारे में नहीं है, बल्कि इसका मतलब है कि एच1एन1 की तरह ही छिटपुट वृद्धि हो सकती है, जो अभी भी मौजूद है, लेकिन प्रबंधनीय है।"

उनका यह भी मानना है कि या तो टीकाकरण या झुंड प्रतिरक्षा द्वारा, एक बड़े वर्ग ने कोविड की गंभीरता के खिलाफ एक रक्षा तंत्र विकसित किया है।

आर्य ने कहा, "समय के साथ हम ऐसी बीमारियों से लड़ने के लिए खुद को तैयार करते हैं। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।"

हालांकि, सभी विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं कि भारत एक स्थानिक स्थिति में पहुंच गया है।

पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, फरीदाबाद के वरिष्ठ सलाहकार और विभाग के प्रमुख डॉ. रवि शेखर झा ने आईएएनएस से कहा, "कोविड-19 वायरस के स्थानिक होने की संभावना तब होती है, जब एक भौगोलिक समुदाय में वायरस लगातार एक दहलीज पर बना रहता है और उसका प्रकोप जारी रहता है। इस समय, यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि वायरस स्थानिक बन जाएगा, क्योंकि इस समय उपलब्ध डेटा यह नहीं बताता है कि संक्रमण दर फिर से बढ़ रही है।"

झा के अनुसार, महत्वपूर्ण योगदान कारक हैं, जिनमें पुन: संक्रमण के जोखिम, टीके की उपलब्धता और प्रभावकारिता के साथ-साथ संभावित मौसमी और अन्य वायरल संक्रमणों के साथ बातचीत शामिल है, जो वायरस के संचरण को नियंत्रित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, "टीके की विफलता का सुझाव देने के लिए हमारे पास अब तक कोई डेटा नहीं है। जब तक हम इन महत्वपूर्ण कारकों पर स्पष्टता नहीं रखते हैं, तब तक यह कहना जल्दबाजी होगी कि वायरस स्थानिक हो जाएगा।"

तो क्या इसका मतलब यह है कि तीसरी लहर आने वाली है?

आर्य ने कहा कि जहां तक तीसरी लहर या किसी अन्य लहर का संबंध है, वे अप्रत्याशित हैं और यह वायरस के प्रकार और प्रतिरक्षा और गैर-प्रतिरक्षा आबादी के साथ उनकी बातचीत पर निर्भर करेगा।

उन्होंने कहा, "देश की 25 से 30 प्रतिशत आबादी 18 साल से कम उम्र वालों की है, जिसका अभी तक टीकाकरण नहीं हुआ है। हमें कोविड के उचित व्यवहार और टीकाकरण को जारी रखना होगा।"

भारत में गुरुवार को कोविड के 46,164 नए मामले दर्ज किए गए। नए मामलों ने पिछले 24 घंटों में लगभग 22 प्रतिशत की छलांग लगाई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 24 घंटों में 607 मौतें भी हुईं। मौतों की कुल संख्या अब 4,36,365 हो गई है।

पिछले 62 दिनों से साप्ताहिक संक्रमण दर 3 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और अस समय 2.02 प्रतिशत है। दैनिक संक्रमण दर लगातार 31 दिनों तक 3 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और इस समय 2.58 प्रतिशत है।

हालांकि, भारत ने अब तक देशभर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के तहत कोरोनवायरस के खिलाफ 60 करोड़ वैक्सीन खुराक के लैंडमार्क को पार कर लिया है।


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