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अयोध्या मामले में न्यायालय सुनवाई के साथ-साथ पक्षकार मध्यस्थता प्रयास कर सकते हैं:शीर्ष न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट किया कि मध्यस्थता के प्रयासों के लिए इस मामले की सुनवाई को अब रोका नहीं जायेगा और उम्मीद

अयोध्या मामले में न्यायालय सुनवाई के साथ-साथ पक्षकार मध्यस्थता प्रयास कर सकते हैं:शीर्ष न्यायालय
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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट किया कि मध्यस्थता के प्रयासों के लिए इस मामले की सुनवाई को अब रोका नहीं जायेगा और उम्मीद है कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जायेगी।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पांच सदस्यीय पीठ ने आज अयोध्या मामले की सुनवाई करते हुए 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी करने की समय सीमा तय कर दी। इस विवाद की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड,न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल हैं।

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि अयोध्या मामले की सुनवाई के साथ-साथ इसके समाधान के लिए समानांतर रुप से मध्यस्थता के प्रयास जारी रखे जा सकते हैं ।

पीठ ने इस मामले में दोनों पक्षों की अधिवक्ताओं सी एस वैद्यनाथ और राजीव वधन की तरफ से सुनवाई पूरी करने के लिए दिये गये अनुमानित समय के बाद पीठ ने कहा कि इस वर्ष 18 अक्टूबर तक सुनवाई खत्म हो सकती है। उन्होंने कहा कि सभी पक्ष इस मामले में 18 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी कर लें।न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि यदि दलीलें पूरी करने के लिए समय कम रहेगा तो वह शनिवार को भी सुनवाई करने के लिए तैयार हैं ।

उन्होंने स्पष्ट किया कि मध्यस्थता के जरिये इस मामले के समाधान के लिए पक्षों पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। उन्होंने कहा इस मामले के सभी पक्ष बातचीत के जरिये इस विवाद का समाधान कर सकते उसका नतीजा पीठ के सामने रख सकते हैं।

अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई छह सितंबर से शुरु हुई थी। पहले निर्मोही अखाड़ा की तरफ से दलीलें दी गई। उसके बाद राम लाल और राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने दलीलें रखी। हिंदू पक्षकारों की दलीलें पूरी हो जाने क बाद मुस्लिम पक्षों की तरफ से दलीलें शुरु हुई हैं।

इस वर्ष मार्च में पीठ ने अयोध्या विवाद को मध्यस्थता के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला, अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू की समिति को सौंपा था किंतु मध्यस्थता के जरिये कोई समाधान नहीं निकला और इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने रोजाना सुनवाई शुरु की ।


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