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अदालत ने 2005 श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट मामले में दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई

अपर जिला न्यायाधीश (प्रथम) राजेश राय की अदालत ने श्रमजीवी एक्सप्रेस आतंकी विस्फोट मामले में दोषी ठहराए गए दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है

अदालत ने 2005 श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट मामले में दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई
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जौनपुर (यूपी)। अपर जिला न्यायाधीश (प्रथम) राजेश राय की अदालत ने श्रमजीवी एक्सप्रेस आतंकी विस्फोट मामले में दोषी ठहराए गए दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है। 2005 में आरडीएक्स का उपयोग करके किए गए ट्रेन विस्फोट में 14 लोग मारे गए थे और 61 घायल हो गए थे।

हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी के दो गुर्गों हिलालुद्दीन और नफीकुल बिस्वास को अदालत ने 22 दिसंबर को दोषी ठहराया था और बुधवार को सजा का ऐलान किया।

जहां बांग्लादेश के रहने वाले हिलालुद्दीन पर ट्रेन में बम रखने का आरोप है, वहीं पश्चिम बंगाल के रहने वाले नफीकुल बिस्वास पर उसकी मदद का आरोप है।

श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट मामले में दो अन्य को 2016 में मौत की सजा दी गई थी। जनरल कोच में आरडीएक्स बम रखा गया था।

दोनों दोषी फिलहाल एक अन्य मामले में हैदराबाद जेल में बंद हैं। कई स्थगनों के कारण दोनों की अंतिम सुनवाई छह साल तक खिंच गई।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था कि दो युवक सफेद सूटकेस के साथ ट्रेन में चढ़े थे। कुछ ही देर बाद दोनों चलती ट्रेन से कूदकर भाग गए थे और सूटकेस ट्रेन में ही छोड़ दिया था।

कुछ मिनट बाद विस्फोट से ट्रेन हिल गई और 14 लोगों की मौत हो गई। इस मामले में कुल छह लोगों में सभी बांग्लादेशी नागरिक आरोपी थे।

बम असेंबल करने के लिए 2016 में दोषी ठहराए गए रोनी आलमगीर और ओबैदुर रहमान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी मौत की सजा के खिलाफ अपील की है।

दो अन्य, गुलाम राजदानी उर्फ याह्या और सईद की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। जिला शासकीय अधिवक्ता वीरेंद्र प्रताप मौर्य ने अदालत के समक्ष दलील रखी और अधिकतम संभव सजा के लिए अदालत से अपील की।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए 3 जनवरी की तारीख तय की थी।


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