कर्नल अरुण को अदालत ने सुनाई चार साल की सजा
आय से अधिक की संपत्ति अर्जित करने वाले कर्नल अरुण कुमार सिंह को सीबीआइ कोर्ट के विशेष जज अनिल कुमार झा ने चार साल की सजा व पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया है
गाजियाबाद। आय से अधिक की संपत्ति अर्जित करने वाले कर्नल अरुण कुमार सिंह को सीबीआइ कोर्ट के विशेष जज अनिल कुमार झा ने चार साल की सजा व पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया है। अदालत ने कर्नल द्वारा अर्जित की गई संपत्ति को भी सरकार के पक्ष में नीलाम करने का आदेश दिया है।
चंडीगढ़ में तैनात कर्नल को अदालत ने शनिवार को दोषी करार दिया था। फैसला आने के बाद बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील करेंगे। सीबीआइ के वरिष्ठ लोक अभियोजक नईम राजा ने अदालत को बताया कि सहारनपुर के बहेट निवासी तत्कालीन मेजर अरुण कुमार सिंह ज्वाइंट असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर शिलांग में तैनात था। अरुण ने वर्ष 2000 तक 62 लाख से अधिक की संपत्ति पत्नी, पुत्र, ससुर व साले के नाम से अर्जित की। सोर्स के आधार पर सीबीआइ ने 19 जून 2001 में मामला दर्ज किया था। जांच में सीबीआइ ने पाया था कि संपत्ति के रूप में जमीनए ट्रक और ट्रैक्टर की खरीददारी की गई।
विवेचना के बाद वर्ष 2005 में सीबीआइ ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कियाए जिसमें मेजर अरुण के अलावा ससुर अमर सिंह व साले तेजपाल को भी आरोपी बनाया। मुकदमे की विवेचना के दौरान ससुर अमर सिंह की 2011 में मौत हो गई थीए जबकि तेजपाल को अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया। कर्नल पर सेना में ठेकेदार से सामान की खरीददारी को लेकर 75 हजार रुपए रिश्वत लेने का भी आरोप है। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 53 गवाह पेश किए। मंगलवार को सजा पर बहस के दौरान बचाव पक्ष ने अदालत से सजा में उदारता बरते जाने की मांग की। वहीं अभियोजन पक्ष ने कहा कि देश की सुरक्षा में सेना में तैनात इस तरह घुसखोरी व रिश्वत खोरी करने वाले के खिलाफ सजा में कोई उदारता न बरती जाए। अदालत ने कहा कि अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध क्षम्य नहीं है। रिश्वत लेने वाले को अगर दंडित न किया जाए तो समाज में इस तरह के लोगों की संख्या बढ़ जाएगी। इसलिए समाज में स्वच्छता बनाए रखने के लिए दंडित करना जरूरी है।


