अदालत ने गाजियाबाद में ग्रामसभा की जमीन पर कब्जे को लेकर मांगी रिपोर्ट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद में ग्रामसभा की जमीन पर कब्जे की घटना को लेकर सहायक जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है
गाजियाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद में ग्रामसभा की जमीन पर कब्जे की घटना को लेकर सहायक जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है।
जिले के गांव सहबिस्वा, जलालाबाद, परगना- दादरी में ग्रामसभा की 0.940 हेक्टेयर जमीन पर भू-माफियाओं द्वारा कब्जा करने की घटना पर न्यायालय ने कहा है कि सरकारी जमीन पर बिना राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कब्जा संभव नहीं है।
न्यायामूर्ति आर एस आर मौर्य ने कामिल एवं अन्य की याचिका पर आदेश पारित करते हुए वहां के असिस्टेन्ट कलेक्टर को आज निर्देश दिया है कि वह स्वयं मौके पर जाकर भूमि की दो सप्ताह मे पैमाइश कराए और न्यायालय को रिपोर्ट करें। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि यदि अबकी बार तीन बिन्दु बनाकर नियमानुसार जांच कर सही रिपोर्ट नहीं दी जाती है तो न्यायालय उस अधिकारी पर जवाबदेही तय करेगी।
न्यायालय ने यह आदेश तब दिया जब याची की तरफ से कहा गया कि दो बार जांचकर लेखपाल और इन्सपेक्टर ने गलत रिपोर्ट दी है। उसने ग्रामसभा की जमीन पर कब्जा नहीं किया है। कैविएटर आनंदवर्धन चतुर्वेदी के अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कहा कि याची ने ग्रामसभा की जमीन कब्जा कर रखा है।
वह बार-बार रिपोर्ट को गलत बताकर उस जमीन से कब्जा छोड़ना नहीं चाहता। कहा गया कि स्थानीय स्तर पर इसमे प्रापर्टी डीलर्स का भी हाथ है।
सहायक जिलाधिकारी (असिस्टेंट कलेक्टर) और जिलाधिकारी (कलेक्टर) ने आदेश पारित कर याची की बेदखली का आदेश पारित कर रखा है लेकिन वह रिपोर्ट को गलत बता एक अथवा दूसरे बहाने करोड़ों की ग्रामसभा की जमीन कब्जा कर लेने की फिराक में है।
इस पर उच्च न्यायालय ने सख्त रूख अपनाते हुए गाजियाबाद के असिस्टेन्ट कलेक्टर को खुद मौके पर जांच का जिम्मा देते हुए दो सप्ताह मे रिपोर्ट मांगी ताकि न्यायालय यही इस मामले का निपटारा कर दे। मामले की अगली सुनवाई 30 मई को होगी।


