जो देश आतंकवाद से पीड़ित हैं, उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी है: बिपिन रावत
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से 'निपटने' की जरूरत है और यदि दुनिया आतंकवाद को खत्म करने के लिए हाथ नहीं मिलाती तो यह समस्या बनी रहेगी

नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से 'निपटने' की जरूरत है और यदि दुनिया आतंकवाद को खत्म करने के लिए हाथ नहीं मिलाती तो यह समस्या बनी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जो देश आतंकवाद से पीड़ित हैं, उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी है।
रायसिना वार्ता में जनरल रावत ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने पर जोर दिया और आतंकवादियों के हाथों में पड़ने वाले परमाणु, जैविक व रासायनिक हथियारों को लेकर चिंता जताई।
The threat of nuclear and chemical weapons falling in the hands of terrorists can be disaster for humanity: Army Chief General Bipin Rawat at #Raisina2018 pic.twitter.com/ejPwom23jW
— ANI (@ANI) January 17, 2018
उन्होंने आतंकवाद के प्रचार को रोकने के लिए इंटरनेट को नियंत्रित करने का समर्थन किया।
सेना प्रमुख ने कहा कि आतंकवाद को नए युद्ध के तरीके के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता और उन्होंने वैश्विक समुदाय से इसका सामना करने का आग्रह किया।
पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, "अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए आतंकवाद का समर्थन करने वाले राष्ट्र से सबसे पहले निपटने की जरूरत है।"
भारत पाकिस्तान पर जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है।
उन्होंने कहा, "यदि पूरा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एक साथ मिलकर आतंकवाद के खतरे से नहीं लड़ता तो आतंकवाद यहां बना रहेगा। साथ मिलकर लड़ाई से ही हम शांति पा सकते हैं..आतंकवाद को युद्ध के नए रूप में नहीं स्वीकार सकते।"
Terrorists are using systems which are highly technology enabled and transcending international borders. We need to disrupt terrorists & their sponsors.Need to identify nations who are sponsors: Army Chief General Bipin Rawat at #Raisina2018 pic.twitter.com/KrJGYaLzdC
— ANI (@ANI) January 17, 2018
उन्होंने कहा, "यह युद्ध का एक नया तरीका बनने जा रहा है। यह देखा गया है कि जो राष्ट्र आतंकवाद फैलाते हैं, वे आतंकवादी गतिविधियों के पीड़ित बने हैं। यदि वे सुरक्षित रहना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि इसे रोकें और वैश्विक समुदाय को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।"
हालांकि, उन्होंने कहा कि कोई दूसरा देश किसी के लिए युद्ध नहीं लड़ेगा।
उन्होंने कहा, "आपको अपना कार्य खुद करना है, कोई देश आपकी मदद को नहीं आएगा। आपकी कार्रवाई के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सहयोग की जरूरत होगी।"
Putting some checks & curbs on Internet&social media that terrorist orgs always resort to, in a democratic country people won't like it but have to take a call on whether we want safe & secure environment or willing to accept curbs temporarily so terrorism can be dealt with: COAS pic.twitter.com/ySXXne1uWI
— ANI (@ANI) January 17, 2018
उन्होंने कहा, "आतंकवादी गतिविधि से पीड़ित एक राष्ट्र को खुद अपना कार्य करना होगा, अपनी कार्रवाई खुद करनी होगी और आतंकवादियों से खुद निपटना होगा।"
जनरल रावत ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों की पहचान करने के बाद अगला कदम उनके वित्त पोषण के स्रोतों पर ध्यान देने का होना चाहिए।
उन्होंने कहा, "धन कहां से आता है। सभी आतंकवादी संगठनों के पास बहुत पैसा है।"
जनरल रावत ने कहा कि मादक पदार्थो का व्यापार इस तरह के धन का प्रमुख स्रोत है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी हथियार निर्माताओं को अपने सभी हथियारों पर चिन्ह रखने चाहिए।
जनरल रावत के अनुसार, सबसे बड़ा खतरा आतंकवादियों के हाथ रासायनिक, जैविक या परमाणु हथियारों के हाथ लगने का है।
उन्होंने कहा, "हथियार सिर्फ एक मुद्दा है। सबसे बड़ा मुद्दा जैविक व रासायनिक हथियारों पर नियंत्रण रखने का है। हम कैसे इन पर नियंत्रण रखेंगे? यह तभी हो सकता है, जब देश एकजुट होंगे।"
उन्होंने जनसंख्या, इंटरनेट व सोशल मीडिया व सामाजिक संचार पर भी कुछ नियंत्रण व प्रतिबंध रखने की बात कही, जिसका आतंकवादी इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने कहा, "मैं इस बात की सराहना करता हूं कि एक लोकतांत्रिक देश में लोग इस तरह के प्रतिबंधों को नहीं चाहते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि यदि हम एक सुरक्षित वातावरण चाहते हैं तो हमें कुछ तरह के नियंत्रण स्थायी तौर पर स्वीकार करने होंगे, जिससे आतंकवाद के खतरे से समग्र तरीके से निपटा जा सके।"


