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विदेशी नागरिक नियम में बदलाव के खिलाफ याचिका पर केंद्र से जवाब तलब

सर्वोच्च न्यायालय ने आज पासपोर्ट नियम व विदेशी नागरिक नियम से जुड़ी दो अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

विदेशी नागरिक नियम में बदलाव के खिलाफ याचिका पर केंद्र से जवाब तलब
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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने आज पासपोर्ट नियम व विदेशी नागरिक नियम से जुड़ी दो अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है।

पासपोर्ट नियम व विदेशी नागरिक नियम के तहत मुस्लिमों को छोड़कर पड़ोसी देशों में अत्याचार का सामना कर रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों, जो भारत में बिना किसी वैध दस्तावेज के प्रवेश कर गए, को भारत में रहने की इजाजत देता है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने नागरिकता एवं संशोधन विरोधी मंच की एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। इस मंच ने पासपोर्ट नियमों व नागरिकता नियमों में संशोधन को चुनौती दी है।

इस नोटिस पर छह हफ्तों के भीतर जवाब देना है।

बहस के दौरान कहा गया कि सरकार बिना कानून में संशोधन किए 2015 में दो अधिसूचनाओं को जारी नहीं कर सकती थी।

याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियमों 2015 को भेदभावपूर्ण, मनमाना व अवैध घोषित करने को कहा।

इस पासपोर्ट संशोधन नियम 2015 को सात सितंबर, 2015 को अधिसूचित किया गया।

इस फोरम में हीरेन गोहाईं, मनजीत महंता व हरे कृष्ण डेका सहित अन्य लोग शामिल हैं। इस फोरम ने फारेनर्स अमेंडमेंट ऑर्डर, 2015 को अवैध घोषित करने की मांग की। इस ऑर्डर को सात सितंबर, 2015 को अधिसूचित किया गया।

2015 की अधिसूचना व केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस संदर्भ में 2016 के आदेश को अवैध करार देने के अलावा याचिकाकर्ताओं ने केंद्र को असम के मूल निवासियों की विशिष्ट संस्कृति, विरासत और परंपराओं के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए निर्देश देने की मांग की है।


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