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अंतरिक्ष से आया था पृथ्वी पर जीवन, वैज्ञानिकों को मिले संकेत

वैज्ञानिक अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मिले कुछ उल्कापिंडों के अवशेषों की जांच कर रहे हैं.

अंतरिक्ष से आया था पृथ्वी पर जीवन, वैज्ञानिकों को मिले संकेत
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तीन उल्कापिंडों के अब तक के अध्ययन से पता चला है कि इनके जरिए वे रसायन पृथ्वी पर आए, जो मानवजीवन के विकास के लिए जरूरी थे. वैज्ञानिकों को पहले इस बात की जानकारी मिली थी कि डीएनए के निर्माण के लिए जरूरी पांच में से तीन रसायन इन उल्कापिंडों में मौजूद थे. साथ ही जीवों के लिए जरूरी जेनेटिक निर्देश और आरएनए यानी वे मॉलीक्यूल जो जीन्स की गतिविधियों के लिए जरूरी हैं, इन उल्कापिंडों में मिले. मंगलवार को शोधकर्ताओं ने कहा कि अब उन्हें अंतिम दो रसायन भी मिल गए हैं.

इस बार उल्कापिंडों की जांच के लिए वैज्ञानिकों ने पहले से अलग तरीका अपनाया. इस बार वे ज्यादा संवेदनशील थे और बहुत कड़े एसिड या गर्म द्रव्य प्रयोग करने से परहेज कर रहे थे. जापान की होकाइडो के एस्ट्रोकेमिस्ट यासूहीरो ओबा बताते हैं कि न्यूकलियोबासिस नाम के ये पांच तत्व निकालने के लिए बहुत सावधानी बरती गई. न्यूकलियोबासिस एक नाइट्रोजन युक्त यौगिक होता है जो डीएनए का स्ट्रक्चर बनाने के लिए जरूरी है.

कैसे हुईं रसायनिक क्रियाएं

यासूहीरो ओबा इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता हैं. अध्ययन नेचर कम्यूनिकेशंस नामक पत्रिका में छपा है. शोध के सह-लेखक नासा के गाडार्ड फ्लाइट सेंटर में काम करने वाले डैनी ग्लैविन कहते हैं कि बाह्य अंतरिक्ष से ऐसे न्यूकलियोबासिस आए, जो जीवन की शुरुआत के लिए जरूरी थे, इस बात की पुष्टि उस सिद्धांत का प्रतिपादन है कि जीवन के लिए जरूरी तत्व बाहर से आए थे.

वैज्ञानिक इस बात की बेहतर समझ के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं कि पृथ्वी पर जीवन कैसे शुरू हुआ. यानी वे क्या घटनाएं थीं जिनके कारण जीवन की शुरुआत करने वाली रसायनिक क्रियाएं हुईं और ऐसे जीवित माइक्रोब बने जो प्रजनन कर सकते थे. डीएनए और आरएनए का निर्माण उस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण कदम था क्योंकि इन्हीं से जीवों की शारीरिक गतिविधियां निर्देशित होती हैं.

वैज्ञानिकों को दिखा बृहस्पति जैसा ग्रह जो अभी बन रहा है

ग्लैविन बताते हैं, "पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के लिए हुए रसायनिक कदमों के बारे में अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है. इस शोध ने रसायनिक यौगिकों की उस सूची में ऐसे तत्वों को जोड़ा है जो पृथ्वी के शुरुआती समय में ही, यानी जीवन के पनपने से पहले मौजूद रहे होंगे.”

तीन उल्कापिंडों का अध्ययन

शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग उल्कापिंडों का अध्ययन किया है. एक 1950 में अमेरिका के केंटकी राज्य के मर्रे में गिरा था. दूसरा ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य के मर्चीसन कस्बे में 1969 में गिरा था. और तीसरा, कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में साल 2000 में गिरा था. इन तीनों को ही कार्बनेशस कॉन्ड्राइट्स कहा जाता है. ये ऐसे पदार्थ से बने हैं, जिनके बारे में अनुमान है कि सौर मंडल के निर्माण के शुरुआती दौर में बने होंगे. ग्लैविन कहते हैं, "तीनों उल्कापिंडों में ऑर्गैनिक मॉलीक्यूलों का मिश्रण बेहद जटिल है. ज्यादातर की पहचान अब तक नहीं हो पाई है.”

पृथ्वी का निर्माण 4.5 अरब साल पहले हुआ माना जाता है. अपने बाल्यकाल में पृथ्वी पर उल्कापिडों, धूमकेतुओं और अन्य पिंडों की बारिश होती रहती थी. यहां जीवन की शुरुआत माइक्रोब्स के रूप में हुई थी, जो समुद्र में जन्मे थे. उनकी आयु 3.5 अरब साल आंकी गई है, जो पृथ्वी पर जीवन का पहला संकेत है.

कहीं बाहर से आया था पृथ्वी से टकराने वाला वो पिंड

नई खोज के बारे में ओबा कहते हैं, "इन नतीजों से पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में सीधे तौर पर कोई जानकारी भले ही ना मिलती हो लेकिन मेरा मानना है कि वे जीवन की शुरुआत से पूर्व पृथ्वी पर मौजूद रहे ऑर्गैनिक मॉलीक्यूल के बारे में हमारी समझ बढ़ा सकते हैं.”

वीके/सीके (रॉयटर्स)


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