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कॉर्पोरेट चंदा सरकार के एहसानों के लिए शुक्रिया अदा करने का एक तरीका है : चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भारी मात्रा में इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त करने को लेकर भाजपा नीत नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कॉरपोरेट चंदा सरकार द्वारा दिए गए एहसानों के लिए आभार व्यक्त करने का एक तरीका है

कॉर्पोरेट चंदा सरकार के एहसानों के लिए शुक्रिया अदा करने का एक तरीका है : चिदंबरम
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नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भारी मात्रा में इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त करने को लेकर भाजपा नीत नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कॉरपोरेट चंदा सरकार द्वारा दिए गए एहसानों के लिए आभार व्यक्त करने का एक तरीका है। उन्होंने दावा किया कि अब तक 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बेचे जा चुके हैं, इनमें से एक बड़ा हिस्सा कॉरपोरेट्स द्वारा खरीदा गया है और भाजपा को गुमनाम रूप से दान किया गया है।

उन्होंने सवाल किया, कॉर्पोरेट गैर-पारदर्शी चुनावी बांड तंत्र के माध्यम से दान करने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं?

उन्होंने कहा कि कुछ कॉर्पोरेट्स चुनावी बांड के माध्यम से चंदा नहीं देते, क्योंकि वे लोकतंत्र से प्यार करते हैं।

कॉपोर्रेट दान सरकार को पिछले वर्षों में मिले कई एहसानों के लिए धन्यवाद व्यक्त करने का तरीका है।

यह एक साफ-सुथरी व्यवस्था है। एहसान चुपचाप किया जाता है। पुरस्कार गुप्त रूप से प्राप्त होते हैं। हमारा गुमनाम लोकतंत्र अमर रहे।

समीक्षाधीन वित्तीय वर्ष के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों की आय पर एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, जहां भाजपा 1,917 करोड़ रुपये के साथ सबसे अधिक आय अर्जित करने वाली पार्टी बनी रही, वहीं तृणमूल कांग्रेस 545.75 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस 541.27 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर आ गई है।

हालांकि, कुल आय के चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय के प्रतिशत के मामले में तृणमूल कांग्रेस पहले स्थान पर आ गई है, जबकि भाजपा दूसरे स्थान पर है।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 के दौरान तृणमूल कांग्रेस की आय का लगभग 97 (96.77) प्रतिशत इलेक्टोरल बॉन्ड से आया है। बीजेपी के मामले में, चुनावी बांड समीक्षाधीन वित्तीय वर्ष के दौरान उसकी कुल आय का सिर्फ 54 प्रतिशत योगदान करते हैं।

खर्च के मोर्चे पर जहां तृणमूल कांग्रेस ने समीक्षाधीन वित्त वर्ष के दौरान अपनी कुल आय का 49.17 प्रतिशत खर्च किया, वहीं इसी अवधि में भाजपा के लिए यह आंकड़ा 44.57 प्रतिशत है। समीक्षाधीन वित्तीय वर्ष के दौरान कांग्रेस ने अपने व्यय का लगभग 74 (73.98) प्रतिशत खर्च कर दिया था।


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