कोरोना: न्यायविद, कानूनविद भी तरह-तरह से बढ़ा रहे सहयोग का हाथ
कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में कारवां जुड़ता जा रहा है और इसमें न्यायविद और कानूनविद भी पीछे नहीं रहे रहे हैं।

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में कारवां जुड़ता जा रहा है और इसमें न्यायविद और कानूनविद भी पीछे नहीं रहे रहे हैं।
आपदा की इस घड़ी में न्यायविद और कानूनविद न केवल आर्थिक सहयोग कर रहे हैं बल्कि अपने गांव की ओर पैदल ही निकल पड़े या राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के कारण अभावग्रस्त चल रहे लोगों को खान-पान की आवश्यक वस्तुएं भी उपलब्ध करा रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एस रवीन्द्र भट ने सोमवार को व्यक्तिगत रूप से सड़क पर उतरकर उन लोगों को खाने-पीने की सामग्रियां उपलब्ध करायी जो राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण खानपान के संकट से घिर आये हैं। उन्होंने खुद ही अपने हाथ से ये सामग्रियां लोगों की दी।
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप पर अंकुश लगाने में जुटी सरकार को सहयोग करते हुए प्रधानमंत्री राहत कोष में आज एक करोड़ रुपये दान दिये।
इससे पहले गत शनिवार को उच्चतम न्यायालय के दूसरे नंबर के वरिष्ठतम न्यायाधीश एन वी रमन ने कोरोना वायरस ‘कोवोड-19’ के बढ़ते प्रकोप से निपटने के लिए आर्थिक सहयोग का हाथ बढ़ाया था। न्यायमूर्ति रमन ने प्रधानमंत्री राहत कोष, आंध्रप्रदेश मुख्यमंत्री राहत कोष और तेलंगाना मुख्यमंत्री राहत कोष में एक-एक लाख रुपये का दान दिया था। उन्होंने ये रकम चेक के जरिये दी थी।
उन्होंने आंध्रप्रदेश और तेलंगाना भवन के संबंधित अधिकारियों को एक-एक लाख रुपये के चेक सौंपे थे। न्यायमूर्ति रमन ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आम जनता से सरकार के निर्देशों का पालन करने, उचित कदम उठाने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के तरीके का पालन करने का अनुरोध भी किया था।


