कोरोना का कहर- देश भर में 20 हजार से ज्यादा स्कूलों में लगा ताला!
वैश्विक महामारी ने देश में न केवल 5 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी लील ली

- विंध्यवासिनी त्रिपाठी
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी ने देश में न केवल 5 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी लील ली, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों के रोजी-रोजगार के साथ ही 20 हजार से ज्यादा स्कूलों में भी ताला लगवा दिया। इसका खुलासा भारत में स्कूली शिक्षा के लिए एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस की 2021-22 की रिपोर्ट में हुआ है। यह आंकड़ा कुल स्कूलों का 1 फीसदी है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस महामारी के दौरान बड़ी संख्या में निजी स्कूलों के शिक्षकों की नौकरियां भी चली गईं। तकरीबन 1.89 लाख शिक्षक यानि 2 फीसदी शिक्षक सेवा से बाहर हो गए। यही नहीं आर्थिक तनाव के चलते महामारी के पहले साल की तुलना में दूसरे साल तकरीबन दोगुने छात्रों ने निजी स्कूलों से अपना नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया।
रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में स्कूलों की संख्या 15.09 लाख थी,जो कि एक साल बाद 2021-22 में घटकर 14.89 लाख हो गई। कोरोना की तबाही के चलते बड़े पैमाने पर लोगों का आर्थिक नुकसान हुआ।
काम-धंधे के साथ ही बड़ी संख्या में या तो लोगों की नौकरियां चली गईं अथवा उनके वेतन में कटौती की गई। जिसका असर बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ा। सरकार स्कूलों में दाखिले का आंकड़ा 83.35 लाख तक बढ़ गया तो निजी स्कूलों में इस आंकड़े में 68.85 लाख तक की कमी आई।
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 24 फीसदी निजी स्कूल हुए ठप
महामारी के दौरान तकरीबन देश के सभी निजी स्कूल प्रभावित हुए। लेकिन मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा सर्वाधिक रहा। सूबे में 24 फीसदी निजी स्कूल पूरी तरह बंद हो गए। जबकि शिक्षको की बात करें तो पश्चिम बंगाल,उत्तरप्रदेश,तेलंगाना और गोवा को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में 2020-21 की तुलना में 2021-22 में शिक्षकों की संख्या कमी आई।


