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कोरोना संकट : उत्तराखंड में प्रधानों के कंधों पर आई बड़ी जिम्मेदारी

 कोरोना महामारी को लेकर  उत्तराखंड में ग्राम प्रधानों पर बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है

कोरोना संकट : उत्तराखंड में प्रधानों के कंधों पर आई बड़ी जिम्मेदारी
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देहरादून। कोरोना महामारी को लेकर उत्तराखंड में ग्राम प्रधानों पर बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि होम क्वारंटीन के संदर्भ में ग्राम प्रधानों के निर्देशों का पालन न करने वाले लोगोंके खिलाफ आपदा प्रबंधन व महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव उत्पल कुमार की ओर से इसके लिए बाकायदा आदेश भी जारी हुआ। आदेश के अनुसार, बाहर से आने वाले लोगों को प्रधान की हिदायतों को मानना पड़ेगा। जो उनकी बात नहीं मानेगा, उसके खिलाफ मुकदमा होगा।

सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने राज्य या जनपद में पंजीकरण नहीं कराया है और सीधे गांव पहुंच गए हैं, उनके पंजीकरण का दायित्व प्रधानों के पास रहेगा। किसी गांव में यदि कोई कोरोना संदिग्ध पाया जाता है, तो इसकी सूचना प्रधान मुख्य चिकित्साधिकारी या नामी चिकित्सक को देंगे। इस दौरान जो प्रधान की बात नहीं मानेगा, उसके खिलाफ महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई भी की जाएगी। यह आदेश 30 जून तक प्रभावी रहेगा। अब प्रधानों को लोगों को क्वारंटीन करने से लेकर उनके खाने, रहने तक की व्यवस्था करनी होगी।

आदेश में कहा गया है कि बाहर से गांव आने वाले का पंजीकरण, आरोग्य एप को डाउनलोड करवाना। गांव में आने वाले लोगों को 14 दिन क्वारंटीन कराना। होम क्वारंटीन न हो पाने वाले लोगों को पंचायत घर, स्कूल आदि स्थानों पर क्वारंटीन कराना होगा। क्वारंटीन स्थल की साफ -सफाई व सैनिटाइजेशन कराना होगा। संस्थागत क्वारंटीन होने वाले लोगों में किसी में कोरोना संक्रमण हो तो उसकी जानकारी सीएमओ को देंगे।

उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक स्थित ग्राम प्रधान रितेश रावत का कहना है, "कोरोना महामारी को लेकर हमलोग पहले ही से तत्पर हैं। इसके लिए जो भी जिम्मेदारी मिलेग, उसे हम निभाएंगे।"


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