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सहकारिता पर आधारित डेयरी का मॉडल स्वावलंबन का स्रोत है : अमित शाह

केन्द्रीय गृहमंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देश में सहकारिता पर आधारित डेयरी उद्योग को समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों, खासकर ग्रामीण इलाकों में किसानों के आर्थिक स्वावलंबन का मुख्य स्रोत बताया है

सहकारिता पर आधारित डेयरी का मॉडल स्वावलंबन का स्रोत है : अमित शाह
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गौतमबुद्धनगर। केन्द्रीय गृहमंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देश में सहकारिता पर आधारित डेयरी उद्योग को समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों, खासकर ग्रामीण इलाकों में किसानों के आर्थिक स्वावलंबन का मुख्य स्रोत बताया है।

शाह ने सोमवार को यहां ग्रेटर नोएडा में शुरु हुए चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय डयेरी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता पर आधारित डेयरी क्षेत्र, दूध उत्पादन के जरिये अर्थ उपार्जन का अवसर देता है। साथ ही यह समाज के निचले स्तर से स्वावलंबन पैदा कर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुबह इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।

शाह ने सहकारिता के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में सहकारिता की मदद से कुपोषण के खिलाफ सफल लड़ाई भी लड़ी गयी। गुजरात के बनासकांठा और भुज इलाके इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, “1974 से 2022 के कालखण्ड में हमारे किसानों और पशुपालकों द्वारा किये गए प्रचंड पुरुषार्थ की वजह से आज भारत विश्व मे सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनकर खड़ा हुआ है। वहीं, 2014 से 2022 के दौर में किये गए परिश्रम का परिणाम है कि भारत 11वें नम्बर की अर्थव्यवस्था से 5वें नम्बर की अर्थव्यवस्था बन गया है। भविष्य में हम इसी रफ्तार से चले तो बहुत जल्द हम विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं। मुझे विश्वास है कि इसके पीछे सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान होगा।”

उन्होंने कहा कि सहकारिता भारत के लिए नयी अवधारणा नहीं है। इसका देश में करीब 120 वर्षों का इतिहास है। कई ऐसी संस्थाएं हैं, जिनका इतिहास 100 वर्ष से ज्यादा का है। शाह ने कहा कि आर्थिक व्यवस्था में दो मॉडल बताए गए हैं। पहला कम्युनिस्ट मॉडल और दूसरा मार्केटिंग मॉडल, लेकिन एक तीसरा मॉडल भारत ने दुनिया के सामने रखा जो सर्वमान्य हुआ और वह है को-ऑपरेटिव मॉडल।

सहकारिता मंत्री ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग सहकारिता से प्रशस्त होने का दावा करते हुए कहा, “मैंने खुद हवाई चप्पल पहने महिला को 1.30 करोड़ का चेक उसके हाथों में दिया है। ये स्वावलंबन और डेयरी के कोऑपरेटिव के उदाहरण है। आज इसका दायरा गांव की चेकडैम और स्कूल का पुनरुद्धार करने से लेकर अन्य कामों तक हो बढ़ गया है और ये सब गुजरात के कोऑपरेटिव मॉडल में दिखता है।”


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