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झारखंड में जिला स्तर के पदों पर नियुक्ति के आरक्षण रोस्टर पर खड़ा हुआ विवाद

झारखंड में नियुक्तियों के लिए बनाई गई हर पॉलिसी विवादों में घिर रही है

झारखंड में जिला स्तर के पदों पर नियुक्ति के आरक्षण रोस्टर पर खड़ा हुआ विवाद
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रांची। झारखंड में नियुक्तियों के लिए बनाई गई हर पॉलिसी विवादों में घिर रही है। अब सरकार ने राज्य में जिला स्तर के पदों पर होने वाली नियुक्तियों पर आरक्षण के लिए जो रोस्टर जारी किया है, उसपर भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। सरकार के कार्मिक विभाग ने आरक्षण रोस्टर का जो नया संकल्प जारी किया है, उसमें पांच जिलों में ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत शून्य है। भाजपा ने इसपर ऐतराज जताया है। सोमवार को विधानसभा में भी यह मामला उठा।

विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने सूचना के तहत बताया कि मीडिया में आज जिला स्तरीय आरक्षण रोस्टर का प्रकाशन हुआ है। पांच जिले ऐसे हैं, जहां एक वर्ग के आरक्षण को शून्य कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि खूंटी, सिमडेगा सहित पांच जिले ऐसे हैं जहां जिला स्तर के पदों पर होने वाली नियुक्तियों में ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया गया है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या इन जिलों में ओबीसी नहीं हैं? उन्होंने इन जिलों में भी ओबीसी को आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की।

इधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने भी कहा है कि राज्य सरकार ने जो आरक्षण रोस्टर जारी किया है उसमें झारखंड के अनेक जिलों में पिछड़ों का आरक्षण शून्य हो गया है। यह सरकार के पिछड़ा वर्ग विरोधी रवैया को दिखाता है। सरकार के इस निर्णय से एक बड़ा वर्ग अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित हो रहा है। इसमें अविलंब सुधार करना चाहिए।

बता दें कि विगत 15 मार्च को हुई कैबिनेट की बैठक में झारखंड में जिला स्तरीय पदों पर होने वाली सीधी नियुक्ति में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसी फैसले के मुताबिक रविवार को कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने जिला वार आरक्षण रोस्टर का संकल्प जारी किया है। प्रत्येक जिले के लिए जारी रोस्टर में अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी), अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), पिछड़ा वर्ग (बीसी), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए अलग-अलग आरक्षण प्रतिशत तय किया गया है, जबकि राज्य स्तरीय पदों पर नियुक्ति के मामले में ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान पहले से है। कार्मिक विभाग द्वारा जारी संकल्प में कहा गया है कि जिला वार अब कुल 60 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया है।


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