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बढ़ती आय की वजह से भारत में खपत में बढ़ोत्तरी, खुदरा बिक्री भी बढ़ी

बढ़ती आय के साथ वस्तुओं और सेवाओं पर घरेलू उपभोग व्यय में वृद्धि के साथ देश में जून के महीने में खुदरा बिक्री में 5 प्रतिशत की शानदार वृद्धि देखी गई

बढ़ती आय की वजह से भारत में खपत में बढ़ोत्तरी, खुदरा बिक्री भी बढ़ी
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नई दिल्ली। बढ़ती आय के साथ वस्तुओं और सेवाओं पर घरेलू उपभोग व्यय में वृद्धि के साथ देश में जून के महीने में खुदरा बिक्री में 5 प्रतिशत की शानदार वृद्धि देखी गई।

रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के एक सर्वेक्षण के अनुसार दक्षिण भारत में 7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। जिसकी वजह से वह क्षेत्र सबसे आगे रहा, इसके बाद उत्तर और पूर्वी भारत में क्रमशः 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और पश्चिमी भारत में यह वृद्धि 4 प्रतिशत देखी गई।

फुटवियर और परिधान के क्षेत्र में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा, "आगामी त्योहारी सीजन और अच्छे मानसून के साथ, हम उपभोक्ताओं की खर्च करने की बढ़ती क्षमता की वजह से खुदरा बिक्री में और सुधार की उम्मीद करते हैं।"

रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन दर्ज किया गया है। विशेष रूप से ऐसी वस्तुओं में जो उपभोक्ता के लिए गैर-आवश्यक हो, लेकिन सीजन के अंत में इसकी बिक्री बढ़ी है।

सांख्यिकी मंत्रालय के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में घरेलू उपभोग व्यय वस्तुओं और सेवाओं पर बढ़ रहा है।

सर्वेक्षण के अनुसार मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण भारत में 2011-12 की तुलना में मासिक प्रति व्यक्ति घरेलू खपत 2022-23 में 40 प्रतिशत बढ़ गई है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय 2011-12 में 1,430 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2,008 रुपये हो गया।

शहरी क्षेत्र में भी मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद प्रति व्यक्ति घरेलू उपभोग व्यय 2011-12 के 2,360 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 3,510 रुपये हो गई, जो 33 प्रतिशत अधिक है।

इस साल की पहली छमाही में देश में खुदरा स्टार्टअप ने पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक धन जुटाया।

डेटा इंटेलिजेंस फर्म ट्रैक्सन के अनुसार 2024 की पहली छमाही में खुदरा क्षेत्र के लिए फंडिंग 32 प्रतिशत बढ़कर 1.63 बिलियन डॉलर हो गई है, जो 2023 की पहली छमाही में 1.23 बिलियन डॉलर थी।

यूबीएस की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दशक में भारत में खपत लगभग दोगुनी हो गई है।

चीन, अमेरिका और जर्मनी जैसी दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में पिछले साल भारत में खपत तेजी से बढ़ी है।


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