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उपभोक्ता साल भर में बचाएंगे 1250 रूपए

बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस ने कम बिजली खपत करने वाले एनर्जी एफिशिएंट, फाइवस्टार पंखे का ऐलान करते हुए दावा किया है कि उपभोक्ताओं को ये पंखे, बाजार से करीब 40 प्रतिशत कम कीमतों पर उपलब्ध कराए जाएंगे

उपभोक्ता साल भर में बचाएंगे 1250 रूपए
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नई दिल्ली। बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस ने कम बिजली खपत करने वाले एनर्जी एफिशिएंट, फाइवस्टार पंखे का ऐलान करते हुए दावा किया है कि उपभोक्ताओं को ये पंखे, बाजार से करीब 40 प्रतिशत कम कीमतों पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

पहले चरण में 2.5 लाख पंखे रखे जाएंगे, जिनकी कीमत 1150 रूपए होगी, जबकि बाजार में इस पंखे की कीमत करीब 1800 रूपए है। इन पंखों पर दो साल की वॉरंटी भी दी जाएगी। यह स्कीम 31 दिसम्बर, 2018 तक के लिए लागू है और पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर ये पंखे उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जाएंगे।

बीएसईएस अधिकारियों ने बताया कि जिन उपभोक्ताओं पर कोई बकाया है, उन्हें ये पंखे नहीं मिल पाएंगे। ये पंखे बीएसईएस के चुनिंदा ऑफिसों से खरीदे जा सकेंगे। बीएसईएस ने अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित पंखों की यह स्कीम ईईएसएल यानी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड के साथ मिलकर शुरू की है। गौरतलब है कि इससे पहले बीएसईएस अपने उपभोक्ताओं को काफी कम कीमतों पर 60 लाख एलईडी बल्ब उपलब्ध करा चुकी है।

बीएसईएस प्रवक्ता ने बताया कि पारंपरिक पंखे जहां 75 वॉट बिजली की खपत करते हैं, वहीं ये फाइवस्टार रेटेड पंखे 50 वॉट बिजली की खपत करेंगे। अगर बिल में बचत की बात करें, तो एक घरेलू उपभोक्ता को प्रति पंखा सालाना 335 रूपये से 1250 रूपए तक की बचत हो सकती है। यह बचत पंखे के इस्तेमाल पर निर्भर करेगी।

इसके साथ ही पर्यावरण बेहतर बनाने में मदद करने में ये पंखे अपनी भूमिका निभाएंगे क्योंकि बिजली का प्रमुख स्रोत कोयला आधारित पावर प्लांट्स हैं, जहां बिजली बनाने पर भारी मात्रा में कोयले को जलाया जाता है। बड़े पैमाने पर कोयला जलाने से वातावरण में सीओ2 की मात्रा बढ़ती है और प्रदूषण फैलता है। इन फाइवस्टार पंखों से बीएसईएस क्षेत्र में सालाना 20 मिललियन यूनिट का बिजली लोड कम होगा।

इसका अर्थ हुआ कि 20 मिलियन यूनिट बिजली को बनाने में जितना कोयला जलता और जितना सीओ2 पर्यावरण में घुलता, वह अब नहीं होगा। इन पंखों के इस्तेमाल से बीएसईएस को भी फायदा होगा। हांलांकि बिजली की पीक डिमांड काफी कम समय के लिए रहती है, लेकिन यह बिजली की मांग को अचानक बढ़ा देती है, जिससे बिजली खरीद की लागत में बढ़ोतरी हो जाती है। इससे वितरण व पारेषण का खर्च भी बढ़ता है।


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