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11 सौ से अधिक आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण

 मध्यप्रदेश में मनरेगा योजना न केवल जरूरतमंद को रोजगार दे रही है बल्कि ग्रामीणों को आधारभूत जरूरतों को मुहैया कराने में भी सहायक हो रही है

11 सौ से अधिक आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण
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भोपाल। मध्यप्रदेश में मनरेगा योजना न केवल जरूरतमंद को रोजगार दे रही है बल्कि ग्रामीणों को आधारभूत जरूरतों को मुहैया कराने में भी सहायक हो रही है। फिर चाहे आवागमन के लिए सड़क की व्यवस्था हो, सिंचाई के लिए पानी हो या आमजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए भवन निर्माण हो।

मनरेगा में ऐसी ही एक योजना है आँगनवाड़ी भवन निर्माण योजना। इसमें अन्य योजनाओं के संयोजन से आंगनवाड़ी भवन बनाए जाते हैं। जिन गांवों में आंगनवाड़ी भवन का अभाव होता है, सामान्य तौर पर वहां बच्चों की शिक्षा का स्तर एवं स्कूलों में प्रवेश का प्रतिशत कम रहता है। इसी के मद्देनजर महिला एवं बाल विकास विभाग एवं मनरेगा के संयोजन से प्रदेश में आँगनवाड़ी भवन बनवाए जा रहे हैं जिससे नौनिहालों को पोषित आहार प्रदाय कर प्रारंभिक शिक्षा के लिए तैयार किया जा सके।

इस योजना से प्रदेश में अब तक लगभग ग्यारह सौ से अधिक आँगनवाड़ी भवन बन चुके है तथा पांच हजार से अधिक भवन पूरा होने की प्रक्रिया में है। आँगनवाड़ी भवन में बच्चों के लिए कक्ष, किचन, शौचालय, खेलने के लिए मैदान एवं अन्य पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। ये आंगनवाड़ी भवन गांव में नौनिहालों को उनके सुरक्षित जीवन को प्रारंभ करने एवं स्कूल की शिक्षा के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

गांवों में आँगनबाड़ी के न होने से ग्राम के छोटे-छोटे बच्चों में स्वास्थ्य, पोषण से संबंधित संतुलित आहार की प्रतिपूर्ति नहीं होने से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। साथ ही गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार एवं स्वास्थ्य संबंधी तथा किशोरी एवं धात्री महिलाओं हेतु पोषण आहार तथा स्वास्थ्य संबंधी अनेकों समस्याओं से जूझना पड़ रहा था। लेकिन अब ऐसा नहीं है।

मनरेगा तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के संयोजन से बने इन आँगनवाड़ी केन्द्रों में गाँव के बच्चों को खुशियां मिल रही हैं। आँगनवाड़ी में छोटे-छोटे बच्चों को प्रारंभिक ज्ञान के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की भी देखभाल की जाती है। बच्चों को पोषण आहार के रुप में प्रतिदिन मीनू के आधार पर नाश्ता एवं खाना दिया जा रहा है। धात्री महिलाओं को पोषण आहार के पैकेट एवं गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा टीके भी लगाये जा रहे हैं। आँगनवाड़ी में बच्चों को खुशियां देने के लिए जन्म-दिवस एवं गोदभराई के कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं।

आँगनवाडी केन्द्र बन जाने से बच्चों के साथ-साथ गाँव की महिलाओं को भी लाभ हो रहा है। आँगनवाड़ी भवन बनने से बच्चों को खेलने के लिए उपयुक्त जगह मिल गई है। सही मायने में कहा जाये तो आँगनवाड़िया बनने से गांव में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में गिरावट आयी है। समय पर इलाज की सलाह मिलने एवं प्राथमिक चिकित्सा सलाह मिलने से शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य में सुधार आया है।


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