महाराष्ट्र के राज्यपाल का दृष्टिकोण संवैधानिक : विशेषज्ञ
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने राज्य में सरकार गठन को लेकर खरीद-फरोख्त रोकने के लिए संवैधानिक रास्ता अख्तियार किया है

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने राज्य में सरकार गठन को लेकर खरीद-फरोख्त रोकने के लिए संवैधानिक रास्ता अख्तियार किया है। यह बात संविधान विशेषज्ञों ने कही।
राज्यपाल बी.एस. कोश्यारी ने शिवसेना को दो दिन का समय देने से इंकार कर दिया। सेना ने सरकार गठन के लिए समर्थन का पत्र सौंपने के लिए दो दिन का समय मांगा था।
शिवसेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार गठन की इच्छा जाहिर की। हालांकि सेना आवश्यक समर्थन पत्र नहीं सौंप सकी और इसके बदले समय मांगा। राज्यपाल ने एक बयान के जरिए समय देने से इंकार कर दिया।
राज्यपाल ने उसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। इसके पहले राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन भाजपा ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया।
लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने आईएएनएस से कहा, "राज्यपाल संविधान का अनुसरण कर रहे हैं। पार्टियों को एक के बाद एक बुलाकर उन्होंने एक संवैधानिक रास्ता चुना है, जिसके जरिए खरीद-फरोख्त को रोका जा सकता है।"
संविधान के अनुसार, राज्य में सरकार बनाने के लिए समयसीमा के मामले में राज्यपाल का निर्णय अंतिम है, खासतौर से महाराष्ट्र में पैदा हुए एक राजनीतिक संकट के परिप्रेक्ष्य में।
कश्यप ने कहा कि यदि राज्यपाल को लगता है कि कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, तब वह राष्ट्रपति को इस बारे में सूचित कर सकते हैं। कश्यप ने कहा, "यदि वह चाहें तो राकांपा के बाद कांग्रेस को भी बुला सकते हैं। शिवसेना के मामले में संभवत: उन्हें नहीं लगा कि यह पार्टी सरकार बना पाने में सक्षम है।"
लोकसभा के पूर्व सचिव पी.डी.टी. आचारी ने कहा कि समयसीमा के मामले में कोई निर्णय लेने के लिए राज्यपाल के पास पूरा अधिकार है।
आचारी ने महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट पर कहा, "राज्यपाल की प्राथमिकता राज्य में सरकार बनाने की है। यदि उन्हें लगता है कि कोई संभावना है, तो वह निश्चित रूप से समयसीमा बढ़ा सकते हैं जिससे कोई पार्टी सरकार बना सके। लेकिन यदि उन्हें लगता है कि इसकी कोई संभावना नहीं है तो वह इस बारे में राष्ट्रपति को सूचित कर सकते हैं।"


