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कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों से संविधान और लोकतंत्र को खतरा : सीएम योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को देश में 25 जून 1975 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के पचासवें वर्ष में योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में भाजपा की जिला व महानगर इकाई की तरफ से आयोजित 'काला दिवस विषयक संगोष्ठी' और 'लोकतंत्र रक्षक सेनानी सम्मान' कार्यक्रम को संबोधित किया

कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों से संविधान और लोकतंत्र को खतरा : सीएम योगी
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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को देश में 25 जून 1975 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के पचासवें वर्ष में योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में भाजपा की जिला व महानगर इकाई की तरफ से आयोजित 'काला दिवस विषयक संगोष्ठी' और 'लोकतंत्र रक्षक सेनानी सम्मान' कार्यक्रम को संबोधित किया।

इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस की आस्था कभी भी भारत के संविधान और लोकतंत्र में नहीं रही है। जब भी उसे मौका मिला, उसने संविधान का गला घोंटने और लोकतंत्र को कुचलने का कार्य किया है। जब मौका नहीं मिला तो उसने संविधान और लोकतंत्र की ही दुहाई देकर जनता को झूठी बातों से गुमराह किया। वास्तविकता यही है कि आज भी संविधान और लोकतंत्र को खतरा कांग्रेस और इंडी गठबंधन में शामिल उसके सहयोगी दलों से है।

सीएम योगी ने 28 लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को सम्मानित करने के बाद कहा कि 50 वर्ष पहले आज ही के दिन मध्य रात्रि में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने भारतीय संसदीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय लिखा था। देश के संविधान का गला घोंटकर, आपातकाल लागू कर कांग्रेस ने लोकतंत्र को तहस-नहस करने की कुचेष्टा की थी। इमरजेंसी लगाकर कांग्रेस ने नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए थे, न्यायालयों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया था।

सीएम योगी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का झूठ गढ़कर, फर्जी बॉन्ड का वादा कर जनता को गुमराह किया। हकीकत तो यह है कि जब भी मौका मिला, कांग्रेस ने एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने का प्रयास किया। जबकि, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में तुष्टीकरण के नाम पर एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण लागू नहीं होने दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोग आज संविधान और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं। लेकिन, देश के बाहर जाकर भारत के लोकतंत्र को कटघरे में खड़ा करते हैं। 1975 में देश के लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए जिन दलों के संस्थापकों, नेताओं ने आंदोलन किए, जेल की यातनाओं को सहा था, लोकतंत्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया था, दुखद है कि उनकी वर्तमान पीढ़ी उसी कांग्रेस की गोद में बैठकर देश को फिर से कांग्रेस की तानाशाही, लोकतंत्र विरोधी और संविधान विरोधी नीतियों की ओर धकेलने का कुत्सित प्रयास कर रही है।


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