पिता से विरासत में मिली राजनीति से मेघालय की सत्ता के शिखर पर पहुंचे कोनराड संगमा
पिता से विरासत में मिली राजनीति की डगर पर आगे बढते हुए 40 वर्षीय कोनराड संगमा मेघालय की सत्ता के शिखर पर पहुंचे

शिलांग । पिता से विरासत में मिली राजनीति की डगर पर आगे बढते हुए 40 वर्षीय कोनराड संगमा मेघालय की सत्ता के शिखर पर पहुंचे हैं। उन्होंने आज मेघालय के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
कोनराड को पहले राजनीति में रुचि नहीं थी। अमरीका के वारटन बिजनेस स्कूल से वित्त और प्रबंधन की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने उद्यमी के रुप में अपना जीवन शुरु किया किंतु बाद में अपने दिवंगत पिता पूर्णो ए संगमा को सहयोग करने के लिए राजनीति में उतरे। राजनीति में उतरने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए उन्होंने लंबा सफर तय किया।
कोनराड के पिता पी ए संगमा गारो हिल्स के सुदूर क्षेत्र से राजनीति में आगे बढते हुए लोकसभा के अध्यक्ष तक पहुंचे और एक बार राष्ट्रपति चुनाव में भी किस्मत अाजमाई किंतु पराजय का सामना करना पड़ा।
तीन मार्च को आए चुनाव परिणामों में कोनराड के राजनीतिक दल ने नेशनल पीपल्स फ्रंट(एनपीपी) 60 सदस्यीय विधानसभा में 19 सीटों पर जीत हासिल की और उन्हें भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चलाने की जिम्मेदारी मिली है।
संगमा परिवार के जेयष्ठ पुत्र कोनराड ने स्नातक की पढाई प्रतिष्ठित इम्पीरियल काॅलेज आफ लंदन से पूरी की। राजनीति में उतरने के बाद वह 2008 में पहली बार मेघालय विधानसभा के सदस्य बने और 2008-09 के दौरान राज्य मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे। वर्तमान में वह अपने पिता के संसदीय क्षेत्र तूरा से सांसद हैं।
पिछले पांच साल से उनकी पार्टी एनपीपी केन्द्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी है। एनपीपी मणिपुर में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में भी शरीक है।
वर्ष 2014 के बाद कोनराड ने अपने पिता के पदचिन्हों पर आगे बढते हुए मेघालय में राजनीतिक पकड़ मजबूत की और राज्य में सत्तारुढ कांग्रेस की मुख्य विपक्षी पार्टी बनने का श्रेय हासिल किया।
विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद देश लौटे कोनराड ने राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी कारोबार में कदम रखा और पूर्वोत्तर राज्य की पहली ऑनलाइन डिजिटल कंपनी स्थापित करने का श्रेय हासिल किया। वर्तमान में उनके कंधों पर मुख्यमंत्री के रुप में 34 विधायक वाली गठबंधन सरकार की जिम्मेदारी है।
गठबंधन में उनकी पार्टी के 19 विधायकों के अलावा भाजपा के दो, यूडीपी के 6, एचएसपीडीपी के 2, पीडीएफ के चार विधायक है और एक निर्दलीय विधायक है। विधानसभा चुनाव में 21 सीट जीतकर सबसे बड़े राजनीतिक दल के रुप में उभरने के बावजूद वांछित बहुमत हासिल नहीं कर पाने के कारण कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा।


