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भारत जोड़ो यात्रा में बढ़ते हुजूम से कांग्रेसी उत्साहित

भारत जोड़ो यात्रा का काफिला धीरे-धीरे मध्य प्रदेश से बढ़ते हुए राजस्थान की तरफ जा रहा है।

भारत जोड़ो यात्रा में बढ़ते हुजूम से कांग्रेसी उत्साहित
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भोपाल, 2 दिसम्बर: भारत जोड़ो यात्रा का काफिला धीरे-धीरे मध्य प्रदेश से बढ़ते हुए राजस्थान की तरफ जा रहा है। इस यात्रा में शुरूआती तौर पर मिली निराशा के बाद इंदौर से बढ़ रही भीड़ ने कांग्रेसियों को उत्साहित कर दिया है।

भारत जोड़ो यात्रा ने 23 नवंबर को मध्यप्रदेश में प्रवेश किया था और यह यात्रा बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन होते हुए आगर-मालवा की तरफ है और आगामी तीन दिन बाद यह यात्रा राजस्थान में प्रवेश कर जाएगी।

भारत जोड़ो यात्रा ने जब मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में प्रवेश किया था तो वहां मौजूद लोगों की भीड़ भाड़ ठीक थी, खरगोन के सनावद में भी भीड़ दिखी, मगर जैस-जैसे यात्रा आगे बढ़ी तो मौजूद लोगों की संख्या कांग्रेस नेताओं की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही। ग्रामीण इलाकों में वह जोश उस नजर नहीं आया जिसकी अपेक्षा कांग्रेस लेकर चल रही थी। यात्रा के इंदौर सीमा में प्रवेश करने के बाद कांग्रेस को वह जोश और जुनून नजर आने लगा जिसकी वह अपेक्षा कर रही थी।

इंदौर और उज्जैन के बीच राहुल गांधी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कर्नाटक, महाराष्ट्र से भी अच्छी यात्रा मध्य प्रदेश में होने का दावा किया मगर कई ऐसे लोग हैं, जो यात्रा में साथ चल रहे हैं, उन्होंने इस बात को नकारा, साथ ही यह भी कहा कि यात्रा में लोगों का आकर्षण इंदौर पहुंचने के बाद बढ़ा है।

जानकारों की माने तो निमाड़ क्षेत्र में यात्रा की जिम्मेदारी पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव पर थी, मगर उसमें बदलाव कर निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को कमान सौंपी गई, जिससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच में अच्छा संदेश नहीं गया। कांग्रेस कार्यकर्ता यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ है। इस स्थिति को प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जाना समझा तो आगे की यात्रा को लेकर खास रणनीति बनाई गई।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने यात्रा के व्यवस्थित संचालन के लिए कई करीबियों को जिम्मेदारी सौंपी। इस यात्रा में धूल के गुबार केा रोकना एक बड़ी चुनौती थी और परिवहन मुहैया कराना भी आसान नहीं था। लिहाजा दिग्विजय सिंह ने अपने करीबी पूर्व मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया को यह दोनों जिम्मेदारियां दी। जिस सड़क से यात्रा केा गुजरना होता था, उस पर एक घंटे पहले टंेकर के जरिए पानी का छिड़काव कर दिया जाता था, जिससे यात्रियों के लिए धूल मुसीबत नहीं बन पाई। इसके साथ ही खाने केा लेकर आई समस्या पर राहुल गांधी की नाराजगी के बाद यात्रियों को खाने में दिक्कत न आए इसके लिए दूसरा कैंप भी लगाना शुरू किया गया। यह सिलसिला आगे भी जारी है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि महाकाल के दरबार में पहुंचकर राहुल गांधी के साष्टांग दंडवत करने की हिदायत भी कांग्रेस से जुड़े लोगों ने ही दी थी, साथ ही जैन मुनि से मुलाकात भी एक खास रणनीति के तहत कराई गई।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि भले ही शुरूआत में यात्रा केा जनता और कार्यकतार्ओं का वैसा रिस्पांस न मिला हो जिसकी अपेक्षा पार्टी को थी, मगर इंदौर पहुंचते ही स्थितियां तेजी से बदली है और आगर मालवा तक पहुंचते-पहुंचते तो तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। आने वाले दिनों में भीड़ और बढ़ सकती है जिसका लाभ कांग्रेस को मिलना तय है।


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