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सामाजिक न्याय पर फोकस करेगी कांग्रेस

चिंतन शिविर में जाति आधारित जनगणना का समर्थन

सामाजिक न्याय पर फोकस करेगी कांग्रेस
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जयशंकर गुप्त

उदयपुर। कांग्रेस के चिंतन शिविर में दूसरे दिन सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण पर बने विमर्श ग्रुप ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन करते हुए दलितों, आदिवासियों, पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्धता पर बल दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के संयोजन में दिन भर चले विमर्श के बाद उन्होंने तथा ग्रुप के एक अन्य सदस्य के राजू ने बताया कि ग्रुप ने पार्टी में कांग्रेस कार्य समिति से लेकर जिला समितियों तक में इन वर्गों को दिए जानेवाले 20 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 50 फीसदी करने, महिलाओं के लिए आरक्षण का समर्थन करते हुए इसमें कोटा के भीतर भी कोटा निर्धारित करते हुए इन वर्गों की महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की लगातार बिक्री पर चिंता जाहिर करते हुए सरकारी नौकरियों में आरक्षित तबकों की नौकरियों के अवसर सीमित होते जाने को देखते हुए निजी क्षेत्र में आरक्षण पर बल दिया गया है। ग्रुप ने ट्रांसजेंडर्स और विकलांगों की समस्याओं पर भी गंभीरता से सोचने की बात कही गई है। इसके साथ ही इस ग्रुप ने कांग्रेस में एक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ, एस सी,एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यकों से जुड़े सवालों पर कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देने के लिए सामाजिक न्याय एडवाइजरी काउंसिल बनाने की सिफारिश भी की है।

कांग्रेस के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार भविष्य में पार्टी में बड़े पैमाने पर होनेवाले नीतिगत और संगठनात्मक बदलावों का खाका तैयार हो रहा है। चिंतन शिविर के सभी छह ग्रुपों में देर रात तक विचार मंथन की प्रक्रिया के बाद संबद्ध ग्रुपों के द्वारा न सिर्फ 2024 के संसदीय चुनाव और उससे पहले होनेवाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए बल्कि उसके आगे के लिए भी पार्टी की रणनीति, बदलाव आदि से संबंधित सिफारिशों को अंतिम रूप देकर उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया जाएगा। कल, 15 मई को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में इन सिफारिशों पर चर्चा के बाद फैसले होंगे जिन्हें उदयपुर संकल्प के रूप में जारी किया जाएगा। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक और दोपहर के भोजन के बाद दिन में तीन बजे से चिंतन शिविर का समापन सत्र होगा। इस समापन सत्र को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी संबोधित करेंगे।
इस बीच चिंतन शिविर (नव संकल्प शिविर) में कृषि और किसान पर विस्तृत विमर्श के बाद संबद्ध ग्रुप के संयोजक, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने किसानों की कर्ज माफी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए फसलों के न्यूनतम समर्थन पर कानून बनाने और किसान कर्ज माफी पर आयोग बनाने जैसे कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा तो पूरा नहीं किया, लेकिन किसानों पर कर्जा जरूर दो गुना हो गया। उन्होंने किसान कर्ज आयोग बनाने की मांग की। वहीं, इस समिति के सदस्य और छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसान न्याय योजना शुरू की गई है, इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रतापसिंह बाजवा ने केंद्र सरकार पर कंपनियों से मिलीभगत कर फसल बीमा में किसानों की जगह कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार का प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी एक्ट किसान विरोधी है।
इससे पहले अर्थव्यवस्था पर बने विमर्श ग्रुप के संयोजक, पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार महंगाई के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती। यूक्रेन वॉर से पहले से ही तेल की कीमतें ज्यादा हैं। कीमतें ज्यादा होने का कारण पेट्रोल-डीजल पर हाई टैक्स है। आज महंगाई बढ़ रही है, लेकिन उस पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की कोई तैयारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियां देश हित में नहीं हैं। जीएसटी के गलत इंप्लिमेंटेशन की वजह से राज्यों की हालत खस्ता हो गई है। राज्यों को जीएसटी का पैसा समय पर नहीं दिया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि हम उदारीकरण से कदम पीछे खींचने के पक्षधर नहीं हैं। हम पोस्ट लिबरलाइजेशन की बात कर रहे हैं। ज्यादा गरीबी असमानता को बढ़ाती है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इंडिया शाइनिंग कैंपने का उदाहरण देते हुए चिदंबरम ने कहा कि 2004 के आम चुनाव में जनता ने इसे पूरी तरह ठुकरा दिया था, क्योंकि उनके जीवन स्तर में बदलाव नहीं आया। मोदी सरकार फिर से इंडिया शाइनिंग कैंपेन को दोहरा रही है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार चिंतन शिविर में कांग्रेस के नेताओं ने माना है कि कांग्रेस ने बदलते समय के हिसाब से खुद को अपडेट नहीं किया, इस वजह से इसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है। एक सवाल के जवाब में सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह सच है कि मार्च, 2010 में राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पास होते समय कांग्रेस ने कोटा (महिला आरक्षण) के भीतर कोटा (दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण) की मांग का विरोध किया था लेकिन आज यह समय की मांग है, इसलिए कोटा के भीतर कोटा सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है।
कांग्रेस में संगठन के स्तर पर बदलावों की सिफारिश की गई है। जनता के बीच लगातार रहने और पकड़ बनाने के लिए बूथ स्तर और ब्लॉक स्तर पर ज्यादा काम करने का सुझाव दिया है। बूथ और ब्लॉक के बीच मंडल बनाए जाने हैं।


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