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भोपाल में लगातार हारती कांग्रेस का नौवीं बार नए चेहरे पर दांव

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते नौ चुनाव से भारतीय जनता पार्टी लगातार जीत दर्ज करती आ रही है

भोपाल में लगातार हारती कांग्रेस का नौवीं बार नए चेहरे पर दांव
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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते नौ चुनाव से भारतीय जनता पार्टी लगातार जीत दर्ज करती आ रही है। वहीं, कांग्रेस भाजपा के विजय अभियान को रोकने के लिए लगातार नए चेहरों पर दाव लगा रही है।

बीते दो चुनाव की तरह इस बार भी नए चेहरे को राजधानी का नेतृत्व करने का मौका मिलना तय है क्योंकि दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने नए चेहरे पर दांव लगाया है।

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इस सीट से भाजपा ने जहां आलोक शर्मा को मैदान में उतारा है, वही कांग्रेस की ओर से अरुण श्रीवास्तव मैदान में हैं। दोनों पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इनके बीच सीधी टक्कर तय है।

भोपाल संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर गौर करें तो वर्ष 1991 से हुए आठ चुनावों के नतीजों से एक बात साफ हो जाती है कि इन सभी चुनावों में भाजपा ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस लगातार नए चेहरों को सामने लाई, मगर उसके खाते में हार ही आई।

कांग्रेस ने 1991 से हुए चुनाव में नए चेहरे के तौर पर मंसूर अली खान पटौदी, कैलाश अग्निहोत्री, आरिफ बेग, सुरेश पचौरी, साजिद अली, सुरेंद्र सिंह ठाकुर, पी.सी. शर्मा, दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेताओं को मैदान में उतारा और यह सभी पहली बार भोपाल से भाजपा के खिलाफ मुकाबला करने उतरे। सभी को हार का सामना करना पड़ा।

वहीं, भाजपा ने 2014 के बाद लगातार नए चेहरों को मौका दिया है। वर्ष 2014 में जहां आलोक संजर निर्वाचित हुए, वहीं 2019 में प्रज्ञा ठाकुर और अब पार्टी ने आलोक शर्मा को मैदान में उतारा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में अब तक 18 चुनाव बार हुए हैं जिनमें से कांग्रेस सात बार जीत दर्ज कर सकी है। शेष 11 मौकों पर भाजपा के उम्मीदवार के खाते में जीत आई ।यहां से सबसे ज्यादा चार बार सुशील चंद्र वर्मा निर्वाचित हुए हैं जबकि कैलाश जोशी दो बार चुने गये हैं।


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