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वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का कांग्रेस ने किया स्वागत, बताया संविधान की जीत

कांग्रेस पार्टी ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हुए इसे संविधान की आत्मा की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम बताया है

वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का कांग्रेस ने किया स्वागत, बताया संविधान की जीत
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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हुए इसे संविधान की आत्मा की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे केंद्र सरकार की वैचारिक राजनीति के खिलाफ लोकतांत्रिक सिद्धांतों की जीत करार दिया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह अधिनियम महज़ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि एक "वैचारिक हमला" है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जिसे ‘सुधार’ बता रही है, वह दरअसल धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा प्रहार है।

डॉ. सिंघवी ने संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि हर धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक मामलों का स्वतंत्र रूप से प्रबंधन करने का अधिकार है, और इसे सीमित करने की कोई भी कोशिश असंवैधानिक है। उन्होंने वक्फ अधिनियम की धारा 11, 9 और 14 को लेकर चिंता जताई, जिनमें नामांकन आधारित प्रणाली और गैर-मुस्लिम सदस्यों की अधिकता जैसे प्रावधान शामिल हैं।

उन्होंने विशेष रूप से धारा 9 और 14 पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए अंतरिम प्रतिबंध का उल्लेख करते हुए कहा कि यह प्रतिबंध बताता है कि अदालत भी इन प्रावधानों की संवैधानिकता पर सवाल उठा रही है।

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि नए कानून में वक्फ ‘बाय यूजर’ की अवधारणा को समाप्त किया गया है, जिससे कई ऐतिहासिक व धार्मिक संपत्तियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। साथ ही, संपत्ति विवाद पर कलेक्टर के निर्णय तक वक्फ मान्यता रोकने के प्रावधान को उन्होंने अराजक और असंवैधानिक बताया।

राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने इस आदेश को संविधान की जीत बताते हुए कहा कि यह केवल एक समुदाय का मामला नहीं है, बल्कि सभी अल्पसंख्यकों और लोकतांत्र‍िक मूल्यों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने भरोसा जताया कि अगली सुनवाई में और भी राहत मिल सकती है।

प्रतापगढ़ी ने कहा कि विपक्ष द्वारा संसद और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में दिए गए सुझावों को नजरअंदाज कर यह कानून लाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं के माध्यम से उसे चुनौती दी गई।

कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि पार्टी संविधान को बनाने और बचाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी मजबूती से निभा रही है और आगे भी निभाती रहेगी।


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