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बिहार में शराबबंदी को लेकर कांग्रेस में दो फाड़

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा के बिहार में लागू शराबबंदी कानून को समाप्त करने की मांग को लेकर उनकी ही पार्टी में विरोध प्रारंभ हो गया

बिहार में शराबबंदी को लेकर कांग्रेस में दो फाड़
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पटना। बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा के बिहार में लागू शराबबंदी कानून को समाप्त करने की मांग को लेकर उनकी ही पार्टी में विरोध प्रारंभ हो गया। उनकी मांग के विरोध में कदवा के कांग्रेस विधायक शकील अहमद ही खड़े हो गए। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग तक कर डाली, जिससे पार्टी में ही मतभेद उभरकर सामने आ गया। कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा ने शराबबंदी कानून को समाप्त करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा। तीन दिन पहले लिखे पत्र में शर्मा ने कहा कि, "शराबबंदी पूरी तरह असफल है। अन्य राज्यों से अवैध नकली शराब की सप्लाई से लोगों की सेहत खराब हो रही है।"

शर्मा ने स्वीकार किया कि 2016 में जब राज्य में शराबबंदी लागू हुई, कांग्रेस उस सरकार में शामिल थी। कांग्रेस ने समर्थन भी किया था। लेकिन, अब लगता है कि यह कानून अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ। उन्होंने दो सुझाव देते हुए कहा कि शराब के मूल्यों में वृद्धि की जाए और उससे हासिल धन को विकास योजनाओं पर खर्च किया जाए।

शर्मा के इस बयान के बाद उनकी ही पार्टी के विधायक शकील अहमद ने विधायक दल के नेता अजीत शर्मा के शराबबंदी हटाने की मांग को अनुचित ठहराया है। उन्होंने कहा है कि यह पार्टी की राय नहीं है, उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है।

उन्होंने कहा, शराबबंदी कानून सबकी सहमति से लागू हुआ था। कांग्रेस भी उस वक्त महागठबंधनकी नीतीश सरकार में शामिल थी। कानून को सख्ती से लागू करने की मांग हो सकती है, मगर कानून खत्म करने की मांग जायज नहीं है।

इधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने इसके लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के लागू हुए चार साल गुजर गए हैं, इस कारण इसको लेकर समीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।

बहरहाल, कांग्रेस विधायक दल के नेता शर्मा की शराबबंदी को समाप्त करने की मांग को लेकर राज्य में नई बहस का दौर प्रारंभ हो गया है। अब देखना है कि सरकार क्या फैसला लेती है।


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