क्राउड फंडिंग से कांग्रेस का बढ़ेगा जनाधार
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस ने आर्थिक मदद के नाम से जनता से जुड़ने की अभिनव पहल की है

लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस ने आर्थिक मदद के नाम से जनता से जुड़ने की अभिनव पहल की है। 28 दिसंबर को पार्टी के 138 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इससे पहले सोमवार को डिजिटल स्वरूप में आमजन से दान लेने की मुहिम की शुरुआत कर रहे हैं। 'डोनेट फॉर देश' के नाम से संचालित होने वाले इस अभियान की महत्ता चुनाव लड़ने के लिए धन राशि एकत्र करने तक सीमित नहीं है, वरन उसका महत्व इसलिये भी है कि वह नये सिरे से आम लोगों को अपनी विचारधारा से जोड़ने जा रही है। इसके साथ ही देश की यह सबसे पुरानी पार्टी अपनी उस परम्परा को पुनर्जीवित करने जा रही है, जिसके बल पर दुनिया की सबसे विपन्न भारतीय अवाम के समक्ष विश्व के सर्वाधिक समृद्ध ब्रितानी हुकूमत को घुटने टेकने के लिये मजबूर होना पड़ा था।
देश का स्वतंत्रता संग्राम छोटी-बड़ी मदद के बल पर लड़ा गया था। कांग्रेस को इस तरह जनता के सामने झोली फैलाने की ज़रूरत इसलिये आन पड़ी है क्योंकि उसका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी जैसे अति सम्पन्न राजनैतिक संगठन के साथ है। दशक भर में उसने जैसा पैसा एकत्र किया है और उसका वह व्यय करती हुई दिख भी पड़ती है, उसके सामने किसी भी सामान्य दल का टिके रहना मुश्किल है। अब तक कांग्रेस उसका जिस प्रकार से भी मुकाबला कर रही है, वह अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के बल पर ही, लेकिन 2024 का आम चुनाव लोकतंत्र के लिहाज से जिस प्रकार महत्वपूर्ण हो गया है, उसके चलते सम्भव है कि कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। देखना यही होगा कि जनता कांग्रेस की दान की अपील को कैसा प्रतिसाद देती है।
शनिवार को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में महासचिव केसी वेणुगोपाल एवं पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने बताया कि 'डोनेट फॉर देश' अभियान के अंतर्गत आमजन कांग्रेस को परम्परागत तरीकों के अलावा भुगतान के सभी डिजिटल माध्यमों के जरिये भी दान दे सकेंगे। इसके लिये एक अलग वेबसाइट भी बनाई गई है। कुछ ही दिनों में कार्यकर्ता घर-घर घूमकर चंदा एकत्र करेंगे। दान की न्यूनतम राशि 138 रुपये रखी गई है। यह सहयोग राशि उसके गुणा किये जाने वाली संख्या में अधिकतम कुछ भी हो सकती है, यानी 1380, 13800 और ऐसे ही आगे। यह राशि इसलिये चुनी गई है क्योंकि कांग्रेस अपनी स्थापना के 138 वर्ष पूर्ण करने जा रही है। यह धन संग्रह मुहिम करीब एक सौ साल पहले (1920-21) महात्मा गांधी द्वारा देश की स्वतंत्रता के लिये चलाये गये 'तिलक स्वराज फंड' से अभिप्रेरित बतलाई गई है।
कांग्रेस को इस तरह के चंदा अभियान की आवश्यकता इसलिये महसूस हुई क्योंकि पिछले कुछ समय से भाजपा ने जहां खुद को आर्थिक दृष्टि से बेहद मजबूत किया है वहीं उसने विरोधी दलों को मदद राशि मिलने के सारे रास्ते यथासम्भव बन्द कर दिये हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट बताती है कि इलेक्टोरल बॉंड के जरिये प्राप्त हुए करीब 9188 करोड़ रुपये में से 5272 करोड़ रुपए अकेली भाजपा को मिले। शेष लगभग 1780 करोड़ रुपए अन्य 7 राष्ट्रीय व 24 क्षेत्रीय दलों के पास पहुंचे। भारी-भरकम खर्चों से होने वाले चुनावी प्रचार अभियानों के माध्यम से भाजपा ने चुनाव प्रक्रिया को ही इतना खर्चीला कर दिया है कि किसी भी दल का उसके साथ मुकाबला करना बहुत मुश्किल हो गया है।
सत्ता हाथ में होने के कारण और उसकी आर्थिक नीतियों के चलते वह उद्योगपतियों व कारोबारियों की पसंदीदा पार्टी बन गई है। केन्द्र की सरकार उसकी अपनी होने के कारण देश के भीतर जहां उसके दफ्तरों के सामने चंदा देने वालों की कतारें लगती हैं, अन्य दलों द्वारा प्राप्त होने वाले धन पर उसकी वक्र दृष्टि होती है। उसके पास उपलब्ध केन्द्रीय जांच एजेंसियों का वह खुलकर उपयोग विपक्षी दलों व नेताओं के खिलाफ करती है। जिन पूंजीपतियों को उसने अपनी नीति से फायदा पहुंचाया है, उसके फलस्वरूप उसके पास पैसे की किल्लत होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। यह चर्चा भी आम है कि नोटबन्दी की बहती गंगा में भाजपा ने अपने हाथ धोये हैं। पूरे भारत में उसके आलीशान कार्यालय, भव्य रोड शो, खूब खर्चीली प्रचार सभाएं साफ बतलाती हैं कि वह देश ही नहीं सम्भवत: दुनिया की सबसे अमीर पार्टी है।
जाहिर है कि ऐसी मालामाल पार्टी के साथ मुकाबला बेहद कठिन है। इसके साथ ही अगले लोकसभा चुनाव का जैसा महत्व है, कांग्रेस के समक्ष लोगों से मदद मांगने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है। इसके माध्यम से पार्टी न केवल अपने खर्च का बंदोबस्त करेगी वरन लोगों से उसका व्यापक जुड़ाव हो सकेगा। उसे वे लोग मदद करेंगे जो कांग्रेस की विचारधारा से इत्तेफ़ाक रखते हैं। बड़ी तादाद में ऐसे नागरिक हैं जो चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूत हो लेकिन वे उसकी मदद नहीं कर पाते। ये सामान्यजन होते हैं जो अल्प राशि ही देने में सक्षम हैं। वे निश्चित ही आगे आयेंगे। इससे कांग्रेस की नीतियों, कार्यक्रमों एवं योगदान का चर्चा आम हो सकेगा जिसका उसे चुनावी लाभ भी मिलेगा। अभियान न सिर्फ पार्टी को भाजपा से लड़ने का हौसला देगा वरन उसके वोट बैंक में भी बड़ा इज़ाफ़ा करेगा। कांग्रेस को दो-तीन बातों का अवश्य ख्याल रखना होगा। पहला तो यह कि संग्रहित राशि पारदर्शी हो और वह उसे बहुत समझदारी के साथ खर्च करे। इसमें उसे एक-एक पाई का हिसाब रखना होगा वरना उसे बदनाम करने का कोई अवसर भाजपा व उसका आईटी सेल हाथ से जाने नहीं देगा।


