सीएए के खिलाफ कांग्रेस का राजघाट पर 'सत्याग्रह'
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन और पूर्व अध्यक्ष राहुल सहित शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व ने सोमवार को सीएए के खिलाफ राजघाट स्थित महात्मा गांधी समाधि स्थल के पास सत्याग्रह किया

नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ राजघाट स्थित महात्मा गांधी समाधि स्थल के पास सत्याग्रह किया। उनके साथ सैकड़ों पार्टी समर्थक भी विरोध पर बैठे थे।
प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मौजूद वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा और ए.के.एंटनी शामिल थे। इससे पहले बीते सप्ताह प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर मौजूद रही थीं और उन्होंने उत्तर प्रदेश के बिजनौर में पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की थी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा महासचिव मुकुल वासनिक, के.सी.वेणुगोपाल भी सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन के लिए ऐतिहासिक स्थल पर पहुंचे थे।
सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी ने छात्रों व युवाओं के साथ एकजुटता दिखाते हुए सत्याग्रह आंदोलन शुरू करने से पहले संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा। छात्र व युवक, नागरिकता संशोधन विधेयक के 13 दिसंबर को पारित होने के बाद से देश भर में नए कानून को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
पार्टी सदस्यों ने भाजपा की अगुवाई वाली सरकार की नीतियों के खिलाफ एक मिनट का मौन रखा।
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह वहां से एक घंटे बाद चले गए।
प्रियंका गांधी ने प्रस्तावना को हिंदी में पढ़ने से पहले सीएए प्रदर्शन में 'शहीद' सभी लोगों का नाम लिया। उनकी पार्टी ने संविधान की रक्षा का संकल्प लिया।
उन्होंने बिजनौर के 22 वर्षीय अनस व 21 वर्षीय सुलेमान का नाम लिया। अनस, कॉफी-वेंडिंग मशीन के जरिए अपने परिवार के लिए पैसा कमाता था और उसकी हाल में शादी हुई थी। सुलेमान यूपीएससी की पढ़ाई कर रहा था।
प्रियंका ने कहा कि रविवार को सुलेमान की मां की आंखों में आंसू थे और उन्होंने कहा कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हो गया।
प्रियंका गांधी ने कहा, "इस आंदोलन में शहीद हुए सभी बच्चों के नाम पर.. आज हम संकल्प लेते हैं कि हम संविधान की रक्षा करेंगे और इसे बर्बाद करने की इजाजत नहीं देंगे।"
वेणुगोपाल ने कहा कि विरोध 'सत्तावादी सरकार' के खिलाफ और आंदोलनकारी छात्रों व नागरिक समाज के साथ खड़े होने के लिए है। यह विरोध सरकार को भारत के संविधान की ताकत की याद दिलाने के लिए भी है।


