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शिमला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत, 9 वार्डो में सिमटी भाजपा

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए लगभग पांच महीने हो चुके हैं

शिमला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत, 9 वार्डो में सिमटी भाजपा
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए लगभग पांच महीने हो चुके हैं। कांग्रेस सरकार ने गुरुवार को भारत के सबसे पुराने नगर निगमों में से एक शिमला नगर निगम का चुनाव जीत लिया है। कांग्रेस ने 34 वाडरें में से 24 पर जीत दर्ज की है। जबकि विपक्षी पार्षदों की संख्या 17 से घटकर 9 हो गई है। शिमला नगर निगम पर भाजपा का कब्जा था। प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह ने शिमला से एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। सीएम ने 32 वर्षों में पहली बार 2017 में भाजपा द्वारा जीते गए नगर निगम के लिए आक्रामक रूप से प्रचार किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं हिमाचल के लोगों को शिमला नगर निगम में ऐतिहासिक जनादेश के लिए धन्यवाद देता हूं, जहां 10 साल बाद पार्टी के सिंबल पर चुनाव हुए। यह जनादेश हमारी सरकार और विकासात्मक राजनीति में राज्य के लोगों के विश्वास की पुष्टि करता है।

यहां से माकपा ने एक वार्ड में जीत दर्ज की, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) खाता खोलने में नाकाम रही। माकपा ने समर हिल वार्ड जीता, जो कि इसके छात्र विंग स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का गढ़ है। माकपा ने पिछली बार भी यह सीट जीती थी, लेकिन उम्मीदवार कार्यकाल के अंत में भाजपा में शामिल हो गए थे।

राज्य कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने पार्टी की निर्णायक जीत के लिए मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जीत की लय बरकरार रखेगी।

कांग्रेस 2012 से 2017 तक नगर निगम में सत्ता से बाहर थी क्योंकि माकपा के मेयर और डिप्टी थे और 2017 से 2022 तक यहां भाजपा थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दो मई को निकाय चुनाव के दौरान 59 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था।

भाजपा ने 23 वाडरें से महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने 18 वाडरें से। दोनों पार्टियां सभी 34 वाडरें से चुनाव लड़ रही थीं। आप ने 21 और माकपा ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।

कांग्रेस ने पुराने और मर्ज किए गए दोनों क्षेत्रों के लिए एक समान टैक्स व्यवस्था के लिए नीतियों को पेश करने का वादा किया था, वहीं भाजपा ने 50 प्रतिशत कचरा बिल माफी के अलावा हर महीने हर घर को 40,000 लीटर मुफ्त पानी देने का वादा किया था।

नगर निगम का पांच साल का कार्यकाल जून 2022 में समाप्त हो गया था लेकिन वाडरें के परिसीमन को चुनौती देने वाले अदालती मामले के कारण चुनाव नहीं हो सका था। पिछली भाजपा सरकार ने वाडरें की संख्या 34 से बढ़ाकर 41 की थी। सत्ता में आने के बाद दिसंबर में कांग्रेस सरकार ने 7 नए वाडरें को खत्म कर दिया था।


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