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दिल्ली में कांग्रेस ने कृषि विधेयकों के खिलाफ किया प्रदर्शन

दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार द्वारा संसद में कृषि से जुड़े विधेयक पास कराए जाने के विरोध में सोमवार को संसद भवन का घेराव किया

दिल्ली में कांग्रेस ने कृषि विधेयकों के खिलाफ किया प्रदर्शन
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नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार द्वारा संसद में कृषि से जुड़े विधेयक पास कराए जाने के विरोध में सोमवार को संसद भवन का घेराव किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय भवन के बाहर एकत्रित होकर भाजपा विरोधी नारे लगाए, साथ ही बढ़ती कार्यकर्ताओं की भीड़ को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने सभी को रोकने की कोशिश की, वहीं कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया।

इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा, "केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली पुलिस द्वारा दमनकारी नीति अपना कर राजनीतिक पार्टियों के विरोध करने लोकतांत्रिक अधिकार दबाने की कोशिश कर रही है। वहीं मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए लाया गया, जबकि बिल किसान विरोधी है, जिससे किसान बर्बाद हो जाएगा।"

अनिल कुमार ने आगे कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस व अन्य पार्टियों की राय पर कोई विचार किए बिना मोदी सरकार ने संसद में तानाशाही तरीके किसान बिल पास करवाकर किसानों की आवाज को कुचल दिया है। मोदी सरकार ने इस बिल के द्वारा उत्पाद के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपने उत्पादों को बेचने की स्वतंत्रता किसानों से छीन ली है।

उन्होंने कहा, "आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने किसान विरोधी विधेयकों पर चुप्पी साधे हुई है। उन्होंने कहा कि केवल छह किसानों ने आप की बहुप्रचारित योजना एमएसपी को बढ़ाने का लाभ उठाया है।"

उन्होंने कहा कि दिल्ली के किसानों का कहना है कि उन्हें केंद्रीय एमएसपी से भी कम दामों पर अपना गेहूं बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है, और यह पिछले साल केजरीवाल सरकार द्वारा की गई घोषणाओं के विपरीत है। उन्होंने मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत, दिल्ली में लगभग 20,000 किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ उठाना था, जो केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी की तुलना में अधिक था, लेकिन दिल्ली के किसानों को वास्तव में इस योजना से कोई लाभ नहीं हुआ।


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