भाजपा-शिवसेना के सियासी घमासान पर कांग्रेस-राकांपा की नजर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के बीच चल रहे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस खुद के लिए एक मौका भांप रही है

मुंबई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के बीच चल रहे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस खुद के लिए एक मौका भांप रही है, लेकिन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गठबंधन शिवसेना से समर्थन के मुद्दे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण व पृथ्वीराज चव्हाण ने गुरुवार को राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से मुलाकात की। महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई के प्रमुख बालासाहब थोराट ने भी पवार से मुलाकात की।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, बैठकें किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए थीं।
कांग्रेस-राकांपा फिलहाल राजनीतिक स्थिति को भांप रही हैं। कांग्रेस का मानना है कि जब तक भाजपा-शिवसेना की लड़ाई जारी रहती है, उसे अपनी रणनीति उजागर नहीं करनी चाहिए।
कांग्रेस हालांकि कोई भी बड़ा निर्णय लेने के लिए राकांपा पर अधिक निर्भर है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राकांपा हमारी गठबंधन की सहयोगी है और पवार के साथ विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं को शिवसेना की ओर से गठबंधन तोड़े जाने की उम्मीद है। पार्टी प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि भाजपा के लिए शिवसेना सख्त साबित हो रही है लेकिन भाजपा उसकी रोटेशनल मुख्यमंत्री पद की मांग को स्वीकार नहीं करेगी।"
राज्य में कांग्रेस 2014 से सत्ता से बाहर है। पार्टी के एक धड़े का विचार है कि पार्टी को शिवसेना को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा करनी चाहिए।
लेकिन, पार्टी जल्दबाजी में नहीं है और भाजपा-शिवसेना के बीच फैसले का इंतजार कर रही है।
एक नेता ने कहा कि कांग्रेस, राकांपा की रणनीति से भी सावधान है। राकांपा ने 2014 में भाजपा सरकार को तब तक बाहर से समर्थन दे दिया था, जब तक कि शिवसेना गठबंधन में शामिल नहीं हुई थी।


