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यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी उम्मीदवारों के जाति प्रमाणपत्रों पर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर की पीएम से गुहार

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को राज्य सरकार द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र को न मानने को लेकर पीएम से हस्तक्षेप की मांग की है

यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी उम्मीदवारों के जाति प्रमाणपत्रों पर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर की पीएम से गुहार
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चेन्नई। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को राज्य सरकार द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र को न मानने को लेकर पीएम से हस्तक्षेप की मांग की है।

उन्होंने ओबीसी अभ्यर्थियों के राज्य सरकार से जारी जाति प्रमाणपत्रों को अस्वीकार करने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर समस्या का समाधान करने की बात कही। उन्होंने इसकी जानकारी एक्स पोस्ट के माध्यम से दी।

उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “यूपीएससी पास करने वाले मेधावी ओबीसी उम्मीदवारों को राज्य द्वारा जारी ओबीसी प्रमाण पत्रों को अस्वीकार करने के कारण आईएएस, आईपीएस में शामिल होने से अनुचित रूप से रोका जा रहा है। मेरा प्रधानमंत्री से आग्रह है कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे को तुरंत संबोधित करके निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करें। हैशटैग ओबीसी न्याय।”

साथ ही उन्होंने अपने इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र की फोटो भी शेयर की।

इस पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री की ध्यान इस मुद्दे पर दिलाया है। उन्होंने ‘सिविल सेवा के लिए चयनित ओबीसी उम्मीदवारों की शिकायतों के समाधान में तत्काल हस्तक्षेप के लिए अनुरोध’ शीर्षक वाले अपने पत्र में लिखा है कि जिन अभ्यर्थियों ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया है। वह लोग वर्तमान में अपने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर की स्थिति के सत्यापन के लिए कई बाधाओं का सामना कर रहे हैं।

यह आईएएस, आईपीएस बनने से रोक रहा है। समस्या का मूल राज्य सरकार द्वारा जारी समकक्षता प्रमाण पत्र की अस्वीकृति के इर्द-गिर्द घूमता है जो उम्मीदवारों के माता-पिता की श्रेणी III/IV स्थिति की पुष्टि करते हैं। हालांकि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा 1993 में जारी के एक कार्यालय ज्ञापन में ओबीसी वर्गीकरण के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

इसमें ऐसा कोई स्पष्ट खंड नहीं है जो इन राज्य द्वारा जारी प्रमाण पत्रों को अस्वीकार करने का आदेश देता हो। हालांकि इन प्रमाणपत्रों को अधिकारियों द्वारा अमान्य कर दिया जाता अयोग्य हो जाते हैं।


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